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अपनों से हारना सीखें ….

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मुझे दिवंगत शासन श्री मुनि श्री पृथ्वीराज जी स्वामी (श्री डूंगरगढ़ ) प्रायः प्रायः बोलते थे की प्रदीप अपनों से बात करो कहों कभी भी उच्च – नीच की हो सारी बात व कहो । लेकिन उस बात को मन में कभी भी मत लो गलत हो रहा है वो । अपन बात बोले अपना काम हो गया । मेरा जीवन में अभी भी यही है की गलत हो रहा है उसको बता दिया बात सम्पन्न । आगे फिर भी बार – बार बात करे या गलत हो तो मौन धार लो । मौन धारने का मतलब यह कभी भी नहीं है की आप कमजोर हो गये ।

आपने परिवार के सुख की खातिर शान्त रहना ही उचित समझा। तुफान तो आते रहते है जीवन में इसलिये ठहराव का जीवन व्यर्थ है। जिस जीवन मे संघर्ष न हो उसका जीवन बेअर्थ ही है। उसका ही जीवन धन्य है जिसके मन मे विजय के गीत है।ज्ञान यही है जीवन का कि डर के आगे जीत है।डर के आगे जीत है कभी न माने हार अगर जो मानी हार तो जीवन है बेकार। रखे होंसला मत घबराए प्रभु आस्था को मन में धार। कैसी भी विपदा आ जाये सब होगे हर संकट से पार।कठिन पथ पर हे राही! तुमको चलते जाना है बिना रुके बिना डरे बस आगे बढ़ते जाना है | हौसलों की ऊंची उड़ान से आसमाँ छू जाना है |डर के आगे जीत है यह दुनिया को दिखलाना है । जो आया उसे है जाना यह है दुनिया की रीत |

किसी भी तरह की हो जैसी महामारी भी जाएगी बीत |ना अपना ना पराया रखो सब के संग प्रीत | कहो सब परिवार संग एक ही बात डर के आगे हैं जीत डर के आगे हैं जीत । मन अगर जो मजबूत है तो डर की क्या बिसात है। यदि परमात्मा से सही से प्रीत है तो डर के आगे जीत है। नई बहारे होगी जीवन में करना होगा भागीरथ प्रयास ।उगेगा सूरज उम्मीदों का होगा नित नूतन प्रकाश ।डर के आगे जीत है रखना तु मन में विश्वास । चल रे जीव अकेला ना कोई यहां पर मीत है ।धड़कन को सुन कर चल बस यही तेरा संगीत है ।

चाहे कितने भी दुःख आए चाहे कितने भी गम डराए । डरना नहीं इस हार से कभी क्योंकि डर के आगे ही जीत है । बुद्धिमत्ता है परिवार की दीर्घ शान्ति के लिए हम कभी अपनों से रिश्ता न बिगाड़ें अपितु उनसे हार जाएँ। शांत जीवन और आत्मशुद्धि के लिए हमें जीतना है इन कषायों का सारा संग्राम। उसीमें हमको लगा देनी है अपनी पूरी ऊर्जा और पूरा ध्यान। जीतने के लिए अपनों से ही लगा देंगे यदि हम अपनी शक्ति, अपनी ऊर्जा और ताकत तो जीतने के लिए कषायों का महायुद्ध में कौन करेगा हमें सहारा देने की हिमाकत। इसलिये हम अपनों से हारना सीखें |

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़,राजस्थान )

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