शिक्षा ज्ञान, अध्यात्म की प्रतिमूर्ति थे स्वामी विवेकानंद
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स्वामी विवेकानंद एक ऐसा व्यक्तित्व है जिन्होंने शिक्षा और अध्यात्म से अपने जीवन को बड़ा बनाया था । ऐसे महापुरुष सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं जो अपने जीवन के बाद भी लोगो को निरंतर प्रेरित करने का कार्य करते हैं।
यदि हम उनके बताये गये बातों पर अमल करें तो हम समाज से हर तरह की कट्टरता और बुराई आदि को दूर करने में सफल हो सकते हैं।अपने जीवन में तमाम विपत्तियों के बावजूद भी स्वामी विवेकानंद कभी सत्य के मार्ग से हटे नही और अपने जीवन भर लोगो को ज्ञान देने कार्य किया। अपने इन्हीं विचारों से उन्होंने पूरे विश्व को प्रभावित किया तथा भारत और हिंदुत्व का नाम रोशन करने का कार्य किया।
समस्या और समाधान पर आपका चिन्तन बहुत अच्छा था । पहली बात समस्याओं की अपनी कोई भी साईज नही होती हैं । वह तो सिर्फ और सिर्फ़ हमारी हल करने की क्षमता के आधार पर छोटी और बडी होती है ।दूसरी बात जीवन की हर समस्या ट्रैफिक की लाल बत्ती की तरह होती है । यदि हम थोड़ी देर प्रतीक्षा कर ले तो वह हरी हो जाती है ।इसलिए धैर्य रखें, मज़बूत मनोबल से अड़े रहे , प्रमाणिक रहे , समय कम या ज़्यादा लगे आदि सतत् प्रयास करें ।
तीसरी बात हर समस्या हमें बनाने या हमें तोड़ने के लिए ही आती है। पसंद हमारी खुद की है चाहे हम उससे पीड़ित हों या विजयी ।चौथी बात मानव जीवन में ना तो समस्याएं कभी खत्म हो सकती हैं और ना ही संघर्ष। समस्या में ही समाधान छिपा होता है। समस्या से भागना उसका सामना ना करना यह सबसे बड़ी समस्या है ।स्वामी विवेकानंद जी कहा करते थे कि समस्याएँ बंदरों की तरह होते हैं जो पीठ दिखाने पर पीछा किया करते हैं और सामना करने पर भाग जाते हैं।
ये बात भी सही है की जीवन में कोई ना कोई आता है गुरु द्रोण बनकर जो बताता है हमारी अपार शक्तियाँ बस उनका सही से प्रयोग करने की जरुरत है। सोई हुई शक्तियों को कोई जगाने वाला गुरु स्वामी विवेकानंद जैसा चाहिए। उनकी जन्म जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ ,राजस्थान )

