ठगी मामले में सीएम हेल्पलाइन में शिकायत के बाद पुलिस ने शुरू की जांच
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लखनऊ I उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में जब लखनऊ में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू किया तो लोगों को लगा कि शायद पुलिस की कार्यप्रणाल्री में सुधार होगा लेकिन यहां तो नतीजे भयभीत करने वाले है। पुलिस को जैसे ज्यादा अधिकार मिले वैसे उसके दुरुपयोग की आशंका सच साबित हो रही है । मीडिया में कमिश्नरेट प्रणाली की पुलिस के काले – कारनामे आए – दिन चर्चा में बने ही रहते है।
ऐसे ही एक मामला थाना अमीबाबाद के अंतर्गत आया है जिसमें व्यापारी सचिन सिंह द्वारा संचालित शशी मेडिकल्स की रचित रस्तोगी ,रजत रस्तोगी और उनकी माता रेखा रस्तोगी द्वारा संचालित औरफिक मेडिकेयर प्राइवेट लिमिटेड , यू. जी. एफ. डी नेपेयर प्लाजा ठाकुरगंज ,लखनऊ वर्तमान में बी. एफ. डी. 1,2,3 ,4 बेस्मेंट नैपेयर रोड पार्ट – 1, लखनऊ के मध्य 26/08/2016 को एक व्यापारिक करार होता है जिसके तहत रू.साठ लाख ( रू. 60,0000/–) जमानत की राशि औरफिक मेडिकेयर प्राइवेट लिमिटेड को शशी मेडिकल्स द्वारा दिया जाता है।
इसी प्रक्रिया में रचित रस्तोगी ,रजत रस्तोगी और उनकी माता रेखा रस्तोगी द्वारा संचालित कंपनी का शशी मेडिकल्स के बीच दवाओं को ले जाने व आगे भेजने व प्रतिनिधि ( सी एंड एफ ) बनाने को लेकर एक करार होता है। करार में वर्णित शर्तों के अनुसार उपरोक्त जमानत राशि पर मिलने वाले ब्याज पर शशी मेडिकल्स का अधिकार होगा।
इसके अलावा सी एंड एफ के परिवहन व मजदूरी संबधी खर्च का वहन औरफिक मेडिकेयर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी करेगी एवं शशी मेडिकल्स को कमीशन देगी जो कि एक लाख रूपया प्रतिमाह रहेगा। औरफिक मेडिकेयर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और शशी मेडिकल्स के बीच कोविड – 19 के प्रकोप होने से पूर्व तक सुचारू रूप से व्यापार चला लेकिन 21/04/2020 को विपक्षियों द्वारा एक ईमेल भेजकर एकतरफा व्यापार को निलंबित कर दिया गया। चूंकि सचिन सिंह का रचित रस्तोगी – रजत रस्तोगी आदि से पुराना परिचय था इसलिए उन्होंने व्यापार निलंबित करने का कारण पूछा तो उन्होंने इनको आश्वासन दिया कि उनकी कोई हानि नहीं होगी।
दोनों भाईयों रचित – रजत ने पहले तो गुमराह किया और फिर धमकीबाजी पर उतर आए। इसके बाद जब सचिन सिंह ने स्वयं के साथ हुई षडयंत्रपूर्ण ठगी को लेकर औरफिक मेडिकेयर प्राइवेट लिमिटेड के विरूद्ध जिलाधिकारी लखनऊ के यहां शिकायती प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया , जिस पर 11 जुलाई 2022 को अग्रसारित हुए प्रार्थनापत्र के आधार पर वे प्रभारी निरीक्षक:थाना – अमीनाबाद के यहां प्रस्तुत हुए। सचिन सिंह को कई बार थाने पर बुलाया गया लेकिन पुलिस ने कोई सक्षम कार्रवाई करना तो दूर बल्कि परोक्ष रूप से शांत रहने की धमकी दे दिया। यहां तक कि विपक्षियों ने दूसरे पुलिसकर्मी से दबाव बनवाने के लिए धमकी भरा फोन भी करवा दिया।
सचिन सिंह ने अपने साथ हुई ठगी को लेकर पुलिस आयुक्त , पुलिस महानिदेशक सहित अपर मुख्य सचिव ( गृह) ,मुख्य सचिव और गृह मंत्री / मुख्यमंत्री तक को डाक के जरिए प्रार्थनापत्र भेजा लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। रचित रस्तोगी , रजत रस्तोगी और रेखा रस्तोगी द्वारा शिकायतकर्ता सचिन सिंह, शशी मेडिकल्स की व्यापारिक समझौते के अंतर्गत साजिशन हड़पी गई जमानत की राशि रू. साठ लाख ( रू. 60,0000/– ) और बैंक ब्याज एवं परिवहन खर्च का रू. 55,80430 अर्थात कुल धन राशि रू 1,1580430 ( पूर्व में जुलाई 2022 अर्थात प्रार्थनापत्र लिखे जाने तक ) बनता था।
दोनों आरोपी भाई : रचित रस्तोगी एवं रजत रस्तोगी आदतन ठगी का धंधा करते है और ये इतने शातिर है कि इन्होंने इस धंधे में अपनी माता रेखा रस्तोगी को भी शामिल कर रखा है। इन्होंने व्यापार के नाम पर विहार राज्य के पटना जिले के दिगम्बर प्रसाद से भी इसी पैटर्न पर ठगी किया है जिसको लेकर पटना के सीजेएम कोर्ट में 283 (C) आफ 2019 अंतर्गत प्रकरण प्रचलित हैं।
इससे साफ जाहिर होता है कि रचित रस्तोगी , रजत रस्तोगी और रेखा रस्तोगी आदि योजनाबद्ध तरीके से संगठित आर्थिक अपराध कर रहे है और अपने गिरोह में शामिल कुछ पुलिसकर्मियों से पीड़ित पर दबाव भी बनवाते है ताकि इनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई न हो।
सचिन सिंह के साथ हुई ठगी और अब तक कार्रवाई को लेकर अपर पुलिस आयुक्त , कैसरबाग, अपर पुलिस उपायुक्त / पुलिस उपायुक्त ( पश्चिम ) सहित लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के अन्य अधिकारियों को पिछ्ले अप्रैल माह में सूचना देकर उनसे सवाल पूछा गया लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करना उचित नहीं समझा। पुलिस उपायुक्त ( पश्चिम )को ईमेल से सूचित किया गया और अपर पुलिस आयुक्त , कैसरबाग से 6 मई को सचिन सिंह ने मिलकर पूरे प्रकरण की जानकारी दिया लेकिन प्रकरण जस का तस लंबित है।
इसके बाद व्यापार के नाम पर रचित रस्तोगी , रजत रस्तोगी और रेखा रस्तोगी द्वारा सचिन सिंह के साथ की गई ठगी को लेकर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की गई जिसके बाद 14 मई को अमीनाबाद थाने द्वारा इसको लेकर पूछताक्ष किया गया । सवाल यह है कि सचिन सिंह द्वारा लिखित शिकायत के अब तक लगभग 11 वां माह चल रहा है। अमीनाबाद थाने की पुलिस ने ठगी की धनराशि वापस करवाने को लेकर क्या किया?
रचित रस्तोगी , रजत रस्तोगी और रेखा रस्तोगी आदि के विरुद्ध अभी तक प्रथम सूचना रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज हुई ? संगठित होकर आर्थिक अपराध को अंजाम दे रहे रचित रस्तोगी , रजत रस्तोगी , रेखा रस्तोगी का गिरोह लूटी – ठगी गई धन राशि का प्रयोग कहां कर रहे है ,इसको पता लगाने के लिए कोई सक्षम कार्रवाई क्यों नहीं हुई ? इस तरह के सवाल है जिस पर लखनऊ कमिश्नरेट की पुलिस ने शातिराना चुप्पी साध रखी है।
रिपोर्ट नैमिष प्रताप सिंह ( वरिष्ठ पत्रकार)