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भगवान बुद्ध का अनुसरण कष्टों का हरण करता है-स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी

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लखनऊ।

आज शुक्रवार, रामकृष्ण मठ, निराला नगर, लखनऊ में बुद्ध पूर्णिमा उत्सव बडे ही हर्षोल्लास के साथ रामकृष्ण मन्दिर में मनाया Iकार्यक्रम की शुरूआत श्री श्री ठाकुर जी की मंगल आरती एवं प्रार्थना के साथ हुयी। सुबह 6ः40 बजे बुद्धदेव द्वारा रचित प्रज्ञापारमिता सूत्रम का पाठ स्वामी रामकृष्ण मठ के स्वामी इष्टकृपानन्द के नेतृत्व में हुई।

प्रातः 7ः15 बजे स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी महाराज द्वारा (ऑनलाइन धार्मिक प्रवचन) सत प्रसंग हुआ। श्री श्री रामकृष्णजी की संध्या आरती के पश्चात भगवान बुद्धदेव की पूजा एवं आरती तथा बुद्ध देव स्त्रोत्तम का पाठ व श्याननाम संकीर्तन स्वामी इष्टकृपानन्द के निर्देशन में सम्पन्न हुआ। तत्पश्चात रामकृष्ण मठ, लखनऊ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी महाराज ने भगवान गौतम बुद्ध एवं बौद्ध धर्म पर प्रवचन दिया।

स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि ईश्वर के साक्षात अवतार भगवान बुद्ध के आगमन का मुख्य उद्देश्य मानव के अन्दर मे सुप्त देवत्व गुण जगाना था। स्वामीजी ने कहा कि भगवान मनुष्य शरीर धारण करते हैं ताकि मनुष्य भगवान जैसा बन सकें। हिंदू धर्म में बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है।

उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध ने चार आर्य सत्य का अविष्कार किया था – 1. दुःख है, 2. दुःख का कारण है, 3. दुःख का निदान है, 4. वही मार्ग है जिससे दुख का निदान होता है। वह संसार त्याग करके सारे दुनिया से दुःख का निदान करने के लिए एक अभिनव धर्म का प्रवर्तन किये जिसके बारे में स्वामी विवेकानन्द ने कहा था ‘‘बौद्ध धर्म ऐतिहासिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण धर्म है क्योंकि वह संसार में घटित होने वाला वृहत्तम धर्मिक आन्दोलन था, मानव समाज पर फूट पड़ने वाली विराटतम आध्यात्मिक लहर थी’’।

स्वामी जी ने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा विश्व के लगभग सभी देशों में कंबोडिया, जापान, चीन, इंडोनेशिया, कोरिया, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, और संयुक्त राज्य अमेरिका में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है। इसी प्रवचन के साथ कार्यक्रम का समापन उपस्थित सभी भक्तों को प्रसाद वितरण के साथ हुआ।

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