अंबर पर काली बदली जब छाई…….
1 min readजब रात ने ली अँगड़ायी ,
चाँदनी रात ने बाँह फैलाई ।
बारात तारों की जगमगायी,
बेहद तब याद तुम्हारी आयी ।
अंबर पर, काली बदली जब छाई,
मेघों से नीर, झमाझम बरसायी ।
होने लगी जिया में, तब अकुलाई,
बेहद तब याद तुम्हारी आई ।
सहर ने पहली किरण, जब आँगन में फैलाईं,
आलोकित कर, भानु ने , छटा बिखराई ।
भरी उमंग मन में , एक तरंग जगाई,
बेहद तब तुम्हारी याद आयी ।
तितलियों ने , बागों की, रंगत सजाई,
भँवरों ने फूलों की, परिक्रमा जब लगाई ।
धीरज मन को, फिर किस बिधी बधाई,
बेहद तब तुम्हारी याद आई ।
—सुमन मोहिनी दिल्ली