कर्नाटक के मैसूर से अयोध्या लाई गई शिलाओं का होगा वास्तु परीक्षण
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अयोध्या । अवधपुरी रामनगरी में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण तेज गति से चल रहा है। केंद्र की मोदी और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जनवरी 2024 के प्रारंभ में राम मंदिर निर्माण को प्रतिबद्ध है। रामलला की मूर्ति के लिए कर्नाटक के मैसूर से दो शिलाएं अयोध्या लाई गई हैं।
रामसेवकपुरम में रखी हैं मैसूर की शिलाएं
मैसूर की शिलाओं को भी नेपाल के जनकपुर से लाई गई शिलाओं के पास ही रामसेवक पुरम में रखा गया है। मैसूर से लाई गई शिलाओं का वैज्ञानिक वास्तु परीक्षण करेंगे। मूर्तिकला के विशेषज्ञ रामलला की मूर्ति बनाने के लिए सबसे बेहतर पत्थरों का चयन करेंगे। रामलला के बाल स्वरूप की मूर्ति बनाने के लिए कर्नाटक के मैसूर से दूसरी शिला के चयन के बाद प्रतिमा आकार लेगी। हालांकि इसके लिए अभी कई शिलाएं लाई जानी हैं। नीले आसमानी रंग का श्याम रंग लिए हुए शिला से राम मंदिर ट्रस्ट रामलला की मूर्ति बनवाना चाह रहा हैं।
राम लला के बाल प्रतिमा के स्वरूप को लेकर चल रहा काम
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार शिलाओं के चयन के साथ रामलला की बाल सुलभ प्रतिमा के स्वरूप को लेकर भी काम चल रहा है। इसके लिए पहले रेखाचित्र और उसके बाद मिट्टी के मॉडल बनेंगे। इस बीच शिला का चयन होने के बाद उससे मूर्ति का निर्माण होगा। बीते दिनों नेपाल के जनकपुर की काली गंडकी नदी से दो शिलाएं अयोध्या लाई गई है।
रामसेवकपुरम में रखी शिलाओं का दर्शन कर लोग खुद को भाग्यशाली मान रहे हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के बन रहे भव्य मंदिर मे अगले साल मकर संक्रांति या उसके आसपास के किसी शुभ मुहूर्त पर गर्भगृह में विराजमान किए जाने की योजना है। इसके लिए एक जनवरी 24 से विशेष अनुष्ठान सम्भावित है। इस बीच राम मंदिर के निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। गर्भगृह के खंभों के बाद बीम के पत्थर लगाए जा रहे हैं।
रिपोर्ट-कपिलदेव सिंह (वरिष्ठ पत्रकार)