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अमेठी पहुंची मिशन भुगतान भारत यात्रा

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अमेठी। परिवार की आर्थिक सुरक्षा को देश की प्राइवेट सेक्टर की कम्पनियों और बैंकों में बचत के पैसे जमा करने वाले पीड़ित जमाकर्ताओं ने लोकसभा चुनाव के पहले केंद्र सरकार को तेजी से घेरना शुरू कर दिया है।अनियमित जमा योजना पाबंदी कानून -2019का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए जमा धनराशियों के भुगतान को मिशन भुगतान भारत यात्रा सोमवार को जिले में पहुंची।

पीड़ित जमाकर्ताओं की हजारों की भीड़ कलेक्ट्रेट में जमा हुई।मिशन भुगतान भारत यात्रा की अगुवाई कर रहे नेताओं ने देश के चालीस करोड़ पीड़ित जमाकर्ताओं के सभी कम्पनियों के भुगतान 180दिन के भीतर कराने की मांग की और 23मार्च के पहले भुगतान न शुरू होने पर दिल्ली में प्रधानमंत्री के घेराव और मतदान के बहिष्कार का अल्टीमेटम दिया । नेताओं ने नमो सरकार की ओर से वापस लिए गए कृषि कानून का उदाहरण देते हुए पीड़ित जमाकर्ताओं से संघर्ष अभियान को मजबूती से आगे बढ़ाने की अपील की।

जिले के हजारों लोगों ने सहारा इंडिया,पल्स,सांई समृद्धि,सांई प्रसाद आदि कम्पनियों में पैसे जमा किए हैं। कम्पनियों की ओर से भुगतान न करने से लोगों के पैसे डूब गए हैं। मिशन भुगतान भारत यात्रा के राष्ट्रीय महासचिव रमेश सिंह ने सभी तरह के भुगतान के लिए सरकार को जिम्मेदार बताया और कहा कि सरकारी बैंकों के होते हुए भी सरकार ने इन प्राइवेट कंपनियों और बैंकों को लाइसेंस क्यों जारी किए,जब सरकारी स्कूल है तो प्राइवेट स्कूल क्यों खोले जा रहे हैं।

चालीस करोड़ पीड़ित जमाकर्ताओं की धनराशि के भुगतान के लिए सरकार जिम्मेदार है।एक सौ अस्सी दिन के भीतर सभी कलेक्टर अपने जिलों में पीड़ित जमाकर्ताओं के बांड लेकर पैसे वापस कराएं। उन्होंने 21फरवरी को प्रयागराज में संगम तट पर पीड़ित जमाकर्ताओं के महाकुंभ में भी शामिल होने का आह्वान किया। पहले भुगतान,फिर मतदान का नारा तेजी से लगाया गया।और लोकसभा चुनाव में इसको मुद्दा बनाने का बार बार अल्टिमेटम भी दिया गया।योगेश गुप्ता,राम लखन पाल आदि नेताओं ने ए डी एम से वार्ता भी की।

सांई समृद्धि सोसायटी में पैसे जमा करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्री आशा देवी, शिक्षा मित्र लालती देवी, रसोईया निर्मला कश्यप,दंपती,रिपु मौर्य ने बताया कि सोसायटी पांच साल के पहले ही बंद हो गई। दुगुना पैसे मिलने की बात तो दूर जमा पूंजी भी नहीं लौटने की उम्मीद है।

राजेन्द्र ने बताया कि सरकार ने जमा धन की वापसी के लिए कानून बनाया है, अगर सरकार के अधिकारियों और जिला कलेक्टरों ने पाबंदी कानून का अनुपालन न किया तो पीड़ित जमाकर्ताओं के भुगतान का मुद्दा पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे की तरह सरकार की चूल हिला देगा।

वामपंथी चिंतक कामरेड वासुदेव मौर्य ने कहा कि सरकार कारपोरेट जगत और पूंजी पतियों के इशारे पर कठपुतली की तरह नाच रही है, असली समस्या निजीकरण की नीति है। जनता जबतक गोलबंद होकर इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाती, समस्या का हल संभव नहीं।

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