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बीस बार जेल गये,फिर भी सिद्धान्तों पर अडिग रहे,नही बनाया अपना मकान

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जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर मंगलवार को सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओ ने सोशल मीडिया के माध्यम से उनकी जीवनी शेयर कर समाजवादी लोकतंत्र की स्थापना और अतिपिछडी़ जातियों को प्रगति के क्षेत्र में आगे बढ़ने के संदेश दिए।

अम्बेडकर वादी चिंतक के पी सविता ने बताया कि कर्पूरी ठाकुर ने आजादी के आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।आजादी के पहले वे दो बार और आजादी के बाद 18 बार जेल गए थे।देश को आजादी मिलने के बाद उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय क्रांति दल और जनता पार्टी की राजनीति की।22 दिसंबर 1970 को पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने और 2 जून 1971 तक मुख्यमंत्री रहे।दूसरी बार उन्होंने जनता पार्टी के शासन में 24 जून 1977 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 21 अप्रैल 1979‌ तक लगभग दो साल तक मुख्यमंत्री के रुप में जनता की सेवा की।

बसपा के पूर्व जिला सचिव राम मिलन शर्मा ने बताया कि ‘संशोपा ने बांधी गांठ,पिछडे़ पांवें सौ में साठ’ उनका सबसे लोकप्रिय नारा था।कर्पूरी ठाकुर ने सादगी पूर्ण जीवन बिताया,अपना मकान तक नहीं बनाया।घनश्याम शर्मा ने जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की मांग की है।

मायावती की सरकार ने कर्पूरी ठाकुर के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए नाई समाज के लोगों को विधानपरिषद मे प्रतिनिधित्व प्रदान करने के साथ राजनीति एवं शासन प्रशासन मे पर्याप्त भागीदारी प्रदान की थी।

लेखक- वीरेंद्र यादव ( लेखक के अपने विचार हैं)

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