था भरोसा फिर मिलोगे…..!
1 min read

था भरोसा फिर मिलोगे!
था भरोसा फिर मिलोगे, जिंदगी के मोड़ पर। मीत मिलने आओगे,
सारा आलम छोड़कर।
था भरोसा फिर मिलोगे !
क्यों खफा हमसे हुए, क्यों बनाई दूरियाँ क्यों हुए तुम बे- मुरव्वत, क्या रहीं मजबूरियाँ ।
हमको बेगाना समझ कर, चल दिए मुँह मोड़ कर।
था भरोसा फिर मिलोगे।
हम बुलाते रह गए, अनसुनी तुमने किया।
बेखबर उस दर्द से, जो बारहा हमने जिया।
तुम न माने चल दिए, बेलौस बंधन तोड़ कर ।
था भरोसा फिर मिलोगे!
क्या बताएँ हम हैं गुज़रे, कितने मुश्किल दौर से।
छटपटाती रूह को, हमने देखा गौर से। दिन कटे उम्मीद में, रातें यादें ओढ़कर।
था भरोसा फिर मिलोगे !
आज तुम जब आ मिले हो, मिल गई है जिंदगी।
अब करूँ फिर से इबादत, या करूँ मैं बंदगी,
मेरे गीतों फिर न जाना, मुझको तन्हा छोड़कर।
था भरोसा फिर मिलोगे!