अन्नदाता……
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कृपा शंकर

जब हम नंगे पैर, भीनी खुशबू वाले कीचड़ भरे खेत में जाते हैं!
तब कहीं जाकर मित्रों, आपके घर बासमती चावल पहुंचाते हैं!!
बंजर जमीन में फसल के लिए, खून जलाकर अपना पसीना बहाते हैं!
उसरीली-पथरीली जमीन को छानकर, हम उस पर फसलें उगाते हैं!!
जब आप -20℃ एयर कंडीशन में बैठकर अपना पसीना सुखाते हैं !
तब हम +42℃ की खुली धूप में, गेहूं की मढा़ई के लिए थ्रेसर चलाते हैं !!
जिस दिसंबर जनवरी में आप, वाटर गीजर के गर्म पानी से नहाते हैं!
हम कड़कड़ाती ठंड में, नहरों के पानी से गेहूं की फसल में सिंचाई लगाते हैं !!
हम करते हैं दिन-रात मेहनत, हर अमीर और गरीब की थाली सजाते हैं!
हम खाते हैं ईमानदारी की “शिव कृपा”
इसलिए अन्नदाता कहलाते हैं !!