बेटी की विदाई……
1 min read

सौंप रहे हैं ज़िन्दगी हम अपनी ,
इसको बहुत सहेज कर रखना जी ।
आँखों में आँसू ना इसकी आने पाएँ,
इस बात का ख़्याल रखना जी ।
नाजों में पली है मेरी लाडली बिटिया,
इसको बहुत प्यार और दुलार देना जी ।
अंतर मायके और ससुराल में कर ना पाए ,
इसको ऐसा सुखद एहसास देना जी ।
पिता की दहलीज़ और माँ का ज्ञान, बिटिया तुम भी याद रखना ।
सास ससुर को माता पिता और ननद को अपनी बहन समझना ।
पति को अपना दोस्त और हमराही तुम बनाना ।
आपस की सूझबूझ से ही जीवन कि गाड़ी चलाना ।
चहकाती रहना ससुराल को भी,
जैसे मायके को चहकाती आयी हो ।
महकाना उस घर भी ऐसे,
जैसे इस घर को महकाती आयी हो ।
भाई बहन के साथ बीते पलों की यादें जब सताने लगे,
देर ना करना मिलने में जब ज़्यादा जी घबराने लगे ।
दादा दादी नाना नानी बुआ फुफा की तुम परी हो ।
ताऊ ताई चाचा चाची और मामा मामी की दुलारी हो ।
मोसा और मोसी का हो अभिमान ।
भैया और भाभी की, ख़ुशियों की खान तुम ,
माँ की हो कलेजे का टुकड़ा, और पिता की हो जान तुम ।
सखी सहेलियों की हमराज तुम्हीं और तुम्हीं शान हो दोस्तों की ।
तुम्हीं डोर सब रिश्तों की,
ये बात है ध्यान रखने की ।
इन सब रिश्तों की महक को, दिल में सदा बसाए रखना
फूलों की तरह महकना और होठों पे हँसी सजाए रखना ।
शादी के बाद बेटियाँ कभी पराई नहीं होती,
बल्कि एक और परिवार को, दूसरे परिवार से जोड़ती हैं ।
जोड़कर कड़ी से कड़ी रिश्तों की,
एक अदृश्य धागे की माला में पिरोती हैं ।
तुम भी अपनी सूझ बुझ से, सभी का मन मोह लेना ।
घर की रौनक़ बनकर तुम, सदा खिलखिलाती रहना ।
जा रही हो जीवन की आज एक नयी शुरूआत है करने,
जीवन के इन्द्रधनुष में अनेकों नए रंग है भरने ।
यही दुआ है हम सब की, खूबफूलो फलो और खुश रहो ।
अपने जीवन रूपी बगिया को, सदा ख़ुशियों से महकाती रहो
— सुमन मोहिनी