जाने किस बोझ को कांधे से हटाने निकले…
1 min readरायबरेली । बीती रात बज़्मे हयाते अदब के तत्वाधान में मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन अतागंज रतासो में प्रसिद्ध कवि एवं शायर अम्बर प्रतापगढ़ी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ । मुशायरे का संचालन आलिम समर ने किया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर बच्चा बाबू वर्मा संगीत प्रवक्ता एवं विशिष्ट अतिथि मौलाना गुलाम मोहम्मद नदवी एवं डॉ रिजवान खान पीएचडी केमेस्ट्री इलाहाबाद यूनिवर्सिटी रहे।
मुशायरा एवं कवि सम्मेलन में जश्न दिलशाद राही मनाया गया, साथ ही दिलशाद राही को उनकी साहित्यिक दिलचस्पी के लिए हाफिज अब्दुल अहद अवार्ड से सम्मानित किया गया तथा डॉ रिजवान खान को बेहतरीन स्कॉलर होने की वजह से शराफत उल्ला वफा सलोनी अवार्ड से सम्मानित किया गया । कवियों और शायरों ने अपनी रचना कुछ इस प्रकार प्रस्तुत की ।
ख़ुर्शाद अम्बर ने कहा – जाने किस बोझ को कांधे से हटाने निकले ,जो बुढ़ापे में भी परदेस कमाने निकले ।। डॉ अनुज नागेंद्र का यह शेर खूब सराहा गयाउ न्होंने कहा ,मेरे मौला एक छोटी सी दुआ करले कबूल, रहमतें पाकर तेरी मगरूर हो जाऊं ना मैं ।। दिलशाद राही ने कहा, जो फुरकतो के अंधेरे थे दूर हो जाते ,तुम्हें चराग नहीं अपना दिल जलाना था ।। अफजल इलाहाबादी ने पढ़ा दौड़ कर आता हूं दरवाजे पे दस्तक सुनकर, कोई जंजीर हिलाता है चला जाता है ।। शिक्षक कवि कासिम हुनर सलोनी नेअपनी रचना कुछ इस प्रकार प्रस्तुत की। ।। मिलने को कितने आए हैं इस पर न जाइए ,यह देखिए कि उनमें मिलनसार कौन है ।।।
इसके अतिरिक्त आफताब मीसम, असलम, गुमनाम नसीराबादी ,अवधी सम्राट अनीस देहाती, सत्येंद्र सिंह सौमय ,हाशिम उमर ,गीतेश जन्नत, नरेंद्र निराश नफ़ीस अख़्तर,सईद इलाहाबादी, सत्येंद्र सिंह सौम्य, हाशिम उमर ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं का दिल जीत लिया। इस अवसर पर सलमान रायनी कोटेदार बदरे आलम रायनी राजा प्रधान, अनस, आनंद सिंह के अतिरिक्त भारी संख्या में ग्रामीण वासियों ने कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में शिरकत कर कवियों की हौसला अफजाई की । दिलशाद राही ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया।