नेताजी के जाने के बाद समाजवादियों को मिले छोटे नेता
1 min readउत्तर प्रदेश I
पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को समाजवादी कार्यकर्ता उन्हें नेताजी के नाम से बुलाते थे I उनके जाने के बाद पार्टी में एक सूनापन आ गया I नेताजी का नेतृत्व उनसे छिन चुका था I लेकिन मैनपुरी चुनाव के बाद कुछ उत्साह समाजवादियों में अवश्य देखने को मिल रहा है I अब उन्हें नए नेता की तलाश भी है जो नेता जी की भरपाई कर सके I मैनपुरी चुनाव के दौरान नेता जी के छोटे भाई शिवपाल यादव ने कुछ ऐसा सुझाव दिया कि कार्यकर्ताओं में नया जोश आ गया है और उन्हें नया नेता मिलने की उम्मीद जाग उठी,जिसमें नेताजी की छवि दिख रही है I बताते चलें कि मैनपुरी चुनाव के बाद शिवपाल यादव की समाजवादी पार्टी के अंदर उनकी रैंकिंग बढ़ती जा रही है और अब उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने की बात चल रही है, ऐसी चर्चा है I अब शिवपाल यादव द्वारा दिए गए सलाह पर भी गंभीरता से विचार होने लगा है I समाजवादियों के बीच शिवपाल यादव का कद बढ़ने लगा है I समाजवादी उनकी सलाह को भी गंभीरता से ले रहे हैं I मैनपुरी के उपचुनाव के दौरान एक चुनावी जनसभा में कहा था कि लोग मुलायम सिंह यादव जी को बड़े मंत्री कहते थे, मुझे छोटे मंत्री कहा करते थे I उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को सलाह देते हुए कहा कि जब मुलायम सिंह जी को नेताजी कहा जाता है तो आखिर हम अखिलेश यादव को छोटे नेता के नाम से क्यों नहीं पुकारते, आपको छोटे नेता कह कर उन्हें पुकारना चाहिए I अब चुनाव संपन्न हो गया है ,उनकी सलाह पर समाजवादियों ने अमल करना शुरू कर दिया है I धीरे-धीरे बैनरों, पोस्टरों में अखिलेश यादव के नाम के आगे छोटे नेता का नाम लिखना शुरू कर दिया है I जानकारों की माने तो अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल यादव को पार्टी के अंदर बड़ी जिम्मेदारी देने का मन बना चुके हैं I हो भी क्यों ना मैनपुरी उपचुनाव में डिंपल यादव को जिताने में चाचा भतीजे की जोड़ी काफी हिट रही I इतना ही नहीं शिवपाल यादव ने अपने विधानसभा क्षेत्र जसवंतनगर से एक लाख से अधिक वोटों से डिंपल यादव को वहां से जिताया था I लोकसभा चुनाव में चाचा-भतीजे की जोड़ी अवश्य गुल खिला सकती है I इससे राजनीति के विशेषज्ञ भी इससे मानने से इंकार नहीं कर रहे हैं I फिलहाल आने वाले समय में समाजवादी पार्टी में शिवपाल का भविष्य का फैसला होने वाला है I कहीं ना कहीं अखिलेश यादव के लिए भी यह सौदा फायदे का होने वाला है I इन दोनों की एकजुटता को देखते हुए अन्य पार्टियां भी आगामी लोकसभा 2024 के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दिया है और उस पर अमल भी शुरू कर दिया है I लेकिन इन दोनों के मिलने के बीच में समाजवादियों को छोटे नेता जरूर मिल गए हैं I दोनों नेताओंं के एकजुट हो जाने सेे समाजवादियों उत्साह देखने कोो मिल रहा है साथ ही यादव बेल्ट में सजातीय वोटो हो रहे बिखराव केेेे चलते समाजवादी पार्टी पार्टी को विगत विधानसभा चुनाव में काफी नुकसान उठाना पड़ा था शिवपाल हुआ अखिलेश के जुट होने से इसकी भरपाई होने की उम्मीदें बढ़ गई हैं I