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सूर्यग्रहण आज, भारत में आंशिक, दीपावली व सूर्यग्रहण का दुर्लभ संयोग!

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नई दिल्ली I

देश में मंगलवार को सूर्य ग्रहण लग रहा है यह वर्ष का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण होगा दशकों बाद यह पहला ऐसा सूर्य ग्रहण होगा जो कि दीपावली के ठीक बाद लग रहा है I सूर्य ग्रहण सबसे पहले आइसलैंड में 2:29 पर लगेगा और शाम 6:20 पर अरब सागर में जाकर समाप्त होगा भारत में ग्रहण काल 4:29 से 6:00 बज कर 09 मिनट तक माना गया है भारत में सूर्य ग्रहण आंशिक होगा देश के कुछ हिस्सों में ही दिखाई पड़ेगा और कम समय तक ही दिखेगा क्योंकि यह समय सूर्यास्त का समय है I इस साल इससे पहले 30 अप्रैल को सूर्य ग्रहण लगा था जो कि रात में लगने के कारण भारत में नहीं दिखाई पड़ा था I

आंशिक सूर्यग्रहण फाइल फोटो –

 

सूर्यग्रहण कब लगता है

खगोल शास्त्रियों की मानें तो ये एक खगोलीय घटना क्रम है I जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आंशिक रूप से आ जाता है इससे पृथ्वी से सूर्य पूर्ण नहीं दिखाई पड़ता है ऐसे ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है खगोल शास्त्रियों की मानें तो जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा चक्कर लगाते हुए दोनों ग्रहों के बीच में आ जाता है जिससे पृथ्वी से सूर्य कुछ समय के लिए दिखाई नहीं पड़ता है इसे सूर्य ग्रहण माना जाता है I लेकिन ज्योतिषविद इस घटना को अशुभ मानते हैं I सूर्य ग्रहण के समय काल को सूतक काल कहते हैं I

सूतक काल कब लग रहा है –

यह सूर्य ग्रहण एक आंशिक सूर्य ग्रहण है और यह इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण है I इसका सूतक काल 24 अक्‍टूबर यानि दिवाली की रात 02 बजकर 30 मिनट लग जाएगा, जो अगले दिन 25 अक्‍टूबर को शाम 04 बजकर 22 मिनट तक रहेगा I ग्रस्तास्त खंड सूर्य ग्रहण का समय 25 अक्तूबर शाम 4:29 से 5:22 बजे तक है। इसलिए मंदिरों के कपाट शाम तक बंद रहेंगे।

एक पखवारे में दो ग्रहण लगे, तो हुआ महाभारत

एक पखवारे के भीतर दो ग्रहण का होना विश्व के लिए शुभ नहीं है। महाभारत काल में भी 15 दिन में दो सूर्यग्रहण लगा था। उस समय महायुद्ध हुआ जिसमें लाखों लोग हताहत हुए। ये बातें पं. शिवपूजन चतुर्वेदी ने कहीं। वह गुरुवार को खगोलीय घटना के प्रभावों पर विमर्श के लिए वैदिक एजुकेशनल रिसर्च सोसायटी की ओर से आयोजित परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भी विश्व में सर्वत्र तनाव है। दुनिया विश्वयुद्ध के कगार पर खड़ी है। मानवता के समक्ष घोर संकट है। विश्व में लोग अभाव, भुखमरी और गहन शारीरिक-मानसिक तनाव से त्रस्त हैं। कोई समाधान नहीं समझ आ रहा। ऐसी स्थिति में मानवीय ज्ञान के अन्यतम श्रोत वेदों की शरण जाने के सिवा कोई मार्ग नहीं है। उन्होंने कहा कि वेदों में महाविनाश और अनिष्ट टालने के लिए अचूक मंत्र और यज्ञों के विधान हैं। जिन्हें अपनाकर विश्व को बचाया जा सकता है।

दिवाली और सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग
इस बार दिवाली और सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग देखने को मिला जब दिवाली के अगले दिन बाद ही सूर्य ग्रहण पड़ा। अब इसी तरह का संयोग 10 साल बाद यानी 2032 में बनेगा जब दिवाली के अगले दिन बाद सूर्य ग्रहण की खगोलीय घटना घटित होगी। इस बार कई ग्रहण और दिवाली पर कई ग्रह खुद की राशि में मौजूद रहेंगे जिसमें गुरु, शनि,बुध और शुक्र ग्रह हैं।

काशी में सूर्यग्रहण काल 
-स्पर्श: शाम 04:42 बजे
-मध्यकाल: शाम 05: 02 बजे
-मोक्षकाल: शाम 05: 22 बजे
-सूर्यास्त: शाम 05: 37 बजे
-सूर्यग्रहण सूर्यास्त से 15 मिनट पूर्व समाप्त हो जाएगा
-सूर्यग्रहण की सम्पूर्ण अवधि 7 घंटा 5 मिनट है किन्तु काशी में सम्पूर्ण सूर्यग्रहण 40 मिनट का है
-8 नवम्बर को खग्रास चंद्रग्रहण दृश्य होगा

ग्रहण का राशियों पर प्रभाव
इस वर्ष तुला राशि पर सूर्यग्रहण है। विभिन्न राशियों पर प्रभाव इस प्रकार होंगे। मेष राशि: स्त्री पीड़ा, वृष: सौख्य, मिथुन: चिन्ता, कर्क: व्यथा, सिंह: श्रीप्राप्ति, कन्या: क्षति, तुला: घात, वृश्चिक: हानि , धनु: लाभ, मकर: सुख, कुम्भ: माननाश, मीन: मृत्यतुल्य कष्ट।

 

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