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डेंगू को लेकर स्वास्थ्य विभाग है सतर्क

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डेंगू को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सतर्क है और तैयार है। इसके लिए जनपद को दो भागों में बांट कर मलेरिया निरीक्षक लगाए गए है। इसके अलावा डा0 पीके उपाध्याय एवं डा0 अजय राय ( दोनों लोगों का पद नाम भी लिखिए ) को भी जिम्मेदारी दी गई है।  जनपद में  अब तक कुल 3 मरीज डेंगू के पाए गए जो कि पूरी तरह से विभाग की निगरानी में है और स्वस्थ है।

एसीएमओ और नोडल अधिकारी डा0 राम प्रसाद ने बताया कि डेंगू एक तरह का वायरस है जो एडीज मच्छर के काटने से लोगों में फैलता है। डेंगू मच्छर दिन में काटता है। इन मच्छरों का प्रकोप बारिश और उसके तुरंत बाद के मौसम में बढ़ता है। ठहरे हुए साफ पानी में मच्छर अंडे देते हैं और इन्हीं दिनों डेंगू का कहर भी बढ़ता है। गड्ढे, नाली, कूलर, पुराने टायर, टूटी बोतलें, डिब्बों जैसी जगहों में रुके हुए पानी में डेंगू के मच्छर पैदा होते हैं।

इस तरह बरतें सावधानी
घर के आसपास सफाई रखें। घर में पड़े पुराने टायर, टूटी बोतल, डिब्बे, कूलर और नालियों में पानी जमा न होने दें। सोते समय मच्छरदानी लगाएं। खिड़की और दरवाजे पर नेट लगाने से डेंगू के कहर से बचा जा सकता है। फूल आस्तीन के कपड़े पहनें। मच्छर वाले स्थान पर जाने से बचें।

डेंगू के लक्षण
अकस्मात तेज सिर दर्द व बुखार का होना
मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना आँखों के पीछे दर्द होना, जो कि आँखों को घुमाने से बढ़ता है।
जी मिचलाना एवं उल्टी होना
गंभीर मामलों में नाक, मुँह, मसूड़ों से खून आना अथवा त्वचा पर चकत्ते  उभरना

डेंगू कैसे बचें–
डेंगू फैलाने वाला मच्छर जमा हुए, साफ पानी में पनपता है। कहीं आपके घर में या आसपास पानी तो जमा नहीं है? जैसे कि कूलर, खुली पानी की टंकी, पक्षियों के पीने के पानी का बर्तन, फ्रिज की ट्रे, फूलदान, नारियल का खोल, टूटे हर बर्तन व टायर इत्यादि ।
पानी से भरे हुए बर्तनों व टकियों आदि का ढक कर रखें।
कूलर को खाली करके सुखा दें।
यह मच्छर दिन के समय काटता है। ऐसे कपड़े पहनें जो बदन को पूरी तरह ढके।
डेंगू के उपचार के लिए डाक्टर की सलाह लें। डेंगू के हर रोगी को प्लेटलेट्स की आवश्यकता नहीं पड़ती।वायरल-टायफाइड होने पर भी प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं। घबराएं नहीं रोगी में 10 हजार प्लेटलेट्स भी बची हैं तो भी वह मेडिसिन और लिक्विड सेवन से रिकवर हो जाता है।

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