Forest Department : अमेठी में पेड़ की अवैध कटान: वन विभाग की निष्क्रियता पर उठे सवाल..!
1 min read

विशेष रिपोर्ट रवि नाथ दीक्षित
अमेठी।
जनपद के सर्किल तिलोई अंतर्गत सिंहपुर विकास खंड की इन्हौना वन बीट के ग्राम बिझौरा मजरे आजादपुर में पर्यावरण को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। एक ग्रामीण के हरे-भरे भारी-भरकम गूलर के पेड़ का अवैध कटान कुख्यात लकड़ी माफिया द्वारा किया गया।
ग्रामीणों ने बताया कि इतने बड़े पेड़ का काटा बिना वन विभाग की मिलीभगत के संभव ही नहीं है। ग्रामीण सीधे तौर पर इन्हौना वन बीट के प्रभारी पर संलिप्तता और लापरवाही के आरोप लगा रहे हैं।
पुलिस पर संदेह, जबकि कोई भूमिका नहीं (सूत्र) हकीकत यह है कि इस पूरे प्रकरण में पुलिस का कोई प्रत्यक्ष रोल नहीं है।असल जिम्मेदारी वन विभाग की है, जिसका काम जंगल और पेड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।भारत सरकार ने 2014 में ग्रीन इंडिया मिशन शुरू किया था, जिसके तहत हर साल लाखों पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि लगाए गए पौधों का संरक्षण नहीं हो पा रहा और दूसरी ओर हरे-भरे पेड़ों की कटाई बेरोक-टोक जारी है।
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में वन क्षेत्र में केवल 0.25% की मामूली बढ़त हुई है, जबकि ग्रामीण इलाकों से लगातार हरे पेड़ काटे जाने की शिकायतें मिल रही हैं।
गूलर जैसे विशाल पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को सोखकर ऑक्सीजन देते हैं। इनके कटने से कार्बन उत्सर्जन का स्तर और अधिक बढ़ता है।पेड़ धरती में जल धारण करने में मदद करते हैं। अवैध कटान से भूजल संकट गहराता है।गूलर पेड़ कई पक्षियों, चमगादड़ों और छोटे जीवों का आवास होते हैं। इनके नष्ट होने से जैव विविधता खतरे में पड़ती है।
पेड़ों की कमी से हवा में प्रदूषण बढ़ता है और श्वसन रोगों का खतरा बढ़ जाता है।कम पेड़ होने से गर्मियों में तापमान और अधिक बढ़ जाता है और बारिश के पैटर्न पर भी असर पड़ता है।ग्राम बिझौरा मजरे आजादपुर के ग्रामीणों ने मांग की है कि इस घटना में शामिल लकड़ी माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर भी विभागीय जांच बैठाई जाए।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि सरकार और प्रशासन इस तरह की घटनाओं पर समय रहते अंकुश नहीं लगाएगा तो आने वाले समय में पूरा इलाका पेड़ों से खाली हो जाएगा और जलवायु संकट गहराता जाएगा।
अमेठी का यह मामला कोई पहली घटना नहीं है। प्रदेशभर में आए दिन लकड़ी माफिया सक्रिय रहते हैं और वन विभाग की ढिलाई के चलते उनका मनोबल और बढ़ता जा रहा है। गूलर जैसे विशाल पेड़ का कटान केवल एक पेड़ की हानि नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण और समाज दोनों के लिए गंभीर खतरा है।
जरूरत है कि सरकार, प्रशासन और वन विभाग इस घटना को उदाहरण बनाते हुए सख्त कार्रवाई करें, ताकि भविष्य में कोई भी माफिया हरे पेड़ों पर इलेक्ट्रॉनिक आर चलाने की हिम्मत न कर सके।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इन्हौना वन बीट के प्रभारी पर यह आरोप भी लग रहा है कि वह इस प्रकरण में कार्रवाई करने से बच रहे हैं। बताया जा रहा है कि वे ग्राम प्रधान से लिखित बयान लेने की कोशिश में हैं, जिसमें यह दर्शाया जाएगा कि भारी-भरकम गूलर का पेड़ ग्रामीण ने स्वयं काटा है।
यदि ऐसा होता है तो यह न केवल सच्चाई को दबाने की कोशिश होगी, बल्कि अवैध कटान करने वाले लकड़ी माफिया को खुली छूट देने जैसा होगा।