Modi’s Speech : SCO समिट में PM मोदी का प्रहार : आतंकवाद पर दुनिया को चेताया
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विशेष रिपोर्ट – रवि नाथ दीक्षित
तियानजिन, चीन।
चीन में आयोजित शंघाई सहयोग परिषद (SCO) शिखर सम्मेलन में सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का दृष्टिकोण रखते हुए आतंकवाद पर जोरदार तरीके से अपनी बात रखी। पीएम मोदी ने न केवल भारत के अनुभव साझा किए, बल्कि वैश्विक स्तर पर इस चुनौती से निपटने के लिए सामूहिक और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया।
भारत का रुख और एससीओ में योगदान
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने एससीओ का सदस्य बनने के बाद हमेशा रचनात्मक और सकारात्मक भूमिका निभाई है। उन्होंने परिषद के लिए भारत की नीति को तीन प्रमुख स्तंभों पर आधारित बताया – सुरक्षा (Security), संपर्क (Connectivity) और अवसर (Opportunity)।
उनके अनुसार, किसी भी संगठन या देश की प्रगति के लिए इन तीनों का होना अनिवार्य है। जहां सुरक्षा से स्थिरता आती है, वहीं बेहतर कनेक्टिविटी व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देती है, और अवसर समाज को आगे बढ़ाने का आधार बनते हैं।
आतंकवाद : वैश्विक खतरा
मोदी ने अपने भाषण में आतंकवाद को न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कहा कि पिछले चार दशकों से भारत इस संकट का दंश झेल रहा है। आतंकवाद की घटनाओं ने हजारों निर्दोष लोगों की जान ली है और विकास की राह में गंभीर रुकावटें खड़ी की हैं।
उन्होंने साफ किया कि आतंकवाद किसी एक देश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी मानवता के लिए चुनौती है। कोई भी राष्ट्र या नागरिक यह सोचकर सुरक्षित नहीं रह सकता कि यह समस्या उससे दूर है।
मोदी के सम्बोधन में पहलगाम हमले का ज़िक्र
अपने संबोधन में मोदी ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह हमला केवल भारत पर नहीं बल्कि उन सभी देशों और व्यक्तियों पर हमला है जो मानवता और शांति में विश्वास करते हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या दुनिया उन देशों के रवैये को स्वीकार कर सकती है जो खुले तौर पर आतंकवाद को समर्थन देते हैं या उसे पनाह देते हैं? मोदी ने स्पष्ट कहा कि आतंकवाद के प्रति किसी भी प्रकार का दोहरा रवैया मानवता के लिए खतरनाक है।
शांति और विकास का रिश्ता
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर राष्ट्र के विकास की नींव शांति और स्थिरता पर टिकी होती है। अगर देश असुरक्षा, हिंसा और उग्रवाद की चपेट में है तो उसके विकास की गति थम जाती है। उन्होंने ज़ोर दिया कि जब तक आतंकवाद और अलगाववाद जैसी समस्याएं समाप्त नहीं होतीं, तब तक स्थायी शांति की कल्पना भी संभव नहीं है।
भारत की वैश्विक पहल
मोदी ने इस अवसर पर बताया कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमेशा अग्रणी भूमिका निभाई है। भारत ने संयुक्त सूचना अभियान का नेतृत्व करते हुए अल-कायदा और उसके जैसे संगठनों से मुकाबला किया है।
साथ ही भारत ने आतंकवाद के वित्तीय स्रोतों को रोकने के लिए भी लगातार पहल की है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों को वित्तीय मदद मिलनी बंद हो जाए तो उनका नेटवर्क स्वतः कमजोर पड़ जाएगा। इस दिशा में भारत ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दिया और सदस्य देशों से निरंतर सहयोग की अपील की।
आतंकवाद पर एकजुटता की अपील
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब समय आ गया है कि दुनिया मिलकर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट खड़ी हो। उन्होंने कहा कि आतंकवाद की कोई सीमा नहीं होती, यह न तो धर्म देखता है और न ही भूगोल। इसलिए इसे समाप्त करने के लिए वैश्विक स्तर पर सामूहिक कार्रवाई ज़रूरी है।
उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा और शांति केवल किसी एक देश की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया की साझा जिम्मेदारी है।
मानवता के प्रति जिम्मेदारी
मोदी ने अपने भाषण को यह कहते हुए समाप्त किया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई केवल सुरक्षा का सवाल नहीं है, बल्कि यह मानवता की रक्षा का भी प्रश्न है। उन्होंने सभी देशों से आह्वान किया कि वे आतंकवाद के हर रूप का विरोध करें और इसमें किसी भी प्रकार का भेदभाव न रखें।

