Kannur Bomb Blast : एक घर बना खंडहर, सवालों के घेरे में सुरक्षा व्यवस्था !
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विशेष रिपोर्टर – रवि दीक्षित
केरल प्रदेश।
केरल का कन्नूर जिला एक बार फिर से बम धमाके की गूंज से हिल उठा। शनिवार की सुबह यहां के एक मकान में जबरदस्त विस्फोट हुआ, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि कई लोग घायल बताए जा रहे हैं। धमाके की तीव्रता इतनी अधिक थी कि घर पूरी तरह से मलबे में तब्दील हो गया और आसपास के घर भी क्षतिग्रस्त हो गए। पुलिस की शुरुआती जांच से संकेत मिला है कि यह हादसा देसी बम तैयार करते समय हुआ होगा।
घटना कैसे हुई?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, विस्फोट सुबह के वक्त हुआ जब इलाके में लोग अपने रोज़मर्रा के कामों में व्यस्त थे। अचानक जोरदार धमाके से पूरा इलाका दहल गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि धमाके की आवाज़ कई किलोमीटर दूर तक सुनी गई। जिस घर में विस्फोट हुआ, उसके अंदर मौजूद व्यक्ति के शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो गए, जिससे घटनास्थल बेहद भयावह दृश्य में बदल गया।
धमाका इतना तेज़ था कि मकान की दीवारें ध्वस्त हो गईं और छत पलटकर जमीन पर आ गिरी। पड़ोस के मकान भी इसकी चपेट में आ गए और कई लोग घायल हो गए। तुरंत स्थानीय लोग और पुलिस मौके पर पहुंचे।
घटना पर पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
पुलिस ने बताया कि यह मकान कीझारा गोविंदन का है, जिसे उन्होंने कुछ समय पहले पय्यानूर के दो व्यक्तियों को किराए पर दिया था। मकान किराए पर लेने वालों का पेशा स्पेयर पार्ट्स की दुकान चलाना बताया जा रहा है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि विस्फोट के समय घर में कितने लोग मौजूद थे और घायल लोगों की पहचान भी आधिकारिक रूप से सामने नहीं आई है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए फोरेंसिक विशेषज्ञों और बम निरोधक दस्ते को तुरंत मौके पर बुलाया गया। टीम ने मलबे से नमूने इकट्ठा किए और विस्फोटक के अवशेषों की जांच शुरू कर दी है।
जानिए कन्नूर और देसी बम की काली हकीकत
यह कोई पहला मामला नहीं है जब कन्नूर जिले में देसी बम के कारण हादसा हुआ हो। यह जिला लंबे समय से राजनीतिक हिंसा और अवैध विस्फोटकों के कारण सुर्खियों में रहा है।
अप्रैल 2024 में भी यहां एक ऐसा ही हादसा हुआ था, जब सत्तारूढ़ सीपीएम (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी) का एक कार्यकर्ता पनूर इलाके में देसी बम धमाके में मारा गया था।
इससे पहले भी कई बार पुलिस ने छापेमारी कर बड़ी मात्रा में विस्फोटक और बम बनाने की सामग्री बरामद की है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते इस क्षेत्र में अक्सर अवैध रूप से बम बनाए जाते हैं। इन बमों का इस्तेमाल चुनावी हिंसा, प्रतिशोध या दबदबा बनाने के लिए किया जाता है।
घटना से स्थानीय लोगों में दहशत
धमाके के बाद पूरे इलाके में दहशत का माहौल है। पास-पड़ोस के लोग अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि इस तरह से रिहायशी इलाकों में बम बनाए जाएंगे, तो किसी भी दिन बड़ा जनसंहार हो सकता है। कई लोग खुलेआम यह सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इतनी सख्ती और पहले से मिल चुकी चेतावनियों के बावजूद अवैध बम बनाने का काम क्यों जारी है।
क्या कहते हैं स्थानीय निवासी
“हम लोग रोज़ अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं। सोचिए अगर यह धमाका उस समय होता जब बच्चे सड़क पर होते तो कितनी बड़ी त्रासदी हो सकती थी। प्रशासन को तुरंत ऐसे अड्डों पर कार्रवाई करनी चाहिए।”
संदेह के घेरे में मकान मालिक और किराएदार
पुलिस की प्राथमिक जांच में मकान मालिक की भूमिका संदिग्ध नहीं मानी गई है। लेकिन किराएदारों की पृष्ठभूमि खंगाली जा रही है। सवाल यह भी उठ रहा है कि किराए पर दिए गए घर में आखिर क्या गतिविधियाँ हो रही थीं और मकान मालिक को इसकी कोई जानकारी क्यों नहीं थी।
किराएदारों की पहचान उजागर होते ही पुलिस को यह पता लगाने में आसानी होगी कि वे लोग किस संगठन या गुट से जुड़े हुए थे।
सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बनी ये घटना
कन्नूर जैसे संवेदनशील जिले में बार-बार बम विस्फोट होना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती है। इस क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास भी हिंसा से भरा रहा है। कई बार सीपीएम और आरएसएस कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें और हत्याएं सामने आती रही हैं। ऐसे में पुलिस और खुफिया विभाग की भूमिका और भी अहम हो जाती है।
लेकिन यहां यह सवाल भी उठता है कि यदि पहले से जानकारी थी कि इस क्षेत्र में अवैध बम बनाने की परंपरा है, तो सख्ती क्यों नहीं बरती गई? क्या पुलिस की निगरानी व्यवस्था कमजोर है या फिर राजनीतिक दबाव के कारण ऐसे मामलों में ढील दी जाती है?
फोरेंसिक जांच से क्या निकल सकता है?
फोरेंसिक टीम इस बात की जांच कर रही है कि धमाके में किस तरह का विस्फोटक इस्तेमाल हुआ। आम तौर पर ऐसे देसी बम में बारूद, गंधक, पोटाश और नुकीले लोहे के टुकड़े मिलाए जाते हैं ताकि धमाका ज्यादा घातक हो। यदि जांच में यह स्पष्ट हो जाता है कि धमाका बम बनाने के दौरान हुआ, तो यह साफ हो जाएगा कि घर को बम फैक्ट्री के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था।
घटना को लेकर राजनीति की प्रतिक्रिया
हालांकि अभी तक इस घटना पर राजनीतिक पार्टियों की विस्तृत प्रतिक्रियाएं सामने नहीं आई हैं, लेकिन अंदेशा है कि आने वाले दिनों में यह मामला बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। विपक्ष राज्य सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर निशाना साध सकता है, जबकि सरकार यह कहकर बचाव कर सकती है कि घटना की जांच जारी है।
कन्नूर का यह बम धमाका एक बार फिर यह साबित करता है कि अवैध विस्फोटक बनाना और उनका इस्तेमाल करना सिर्फ एक व्यक्ति या गुट के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए खतरा है। एक घर मलबे में बदल गया, एक व्यक्ति की जान चली गई, कई घायल हो गए और आसपास के लोग भयभीत हो गए।
यह घटना प्रशासन के लिए चेतावनी है कि अगर समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में और भी बड़े हादसे हो सकते हैं। सवाल यही है कि क्या सरकार और सुरक्षा एजेंसियां इस चुनौती से निपटने के लिए ठोस और पारदर्शी कदम उठाएंगी या फिर यह मामला भी कुछ दिनों में भूल-भुलैया बनकर रह जाएगा।

