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AMETHI UPDATE : जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित हुआ संपूर्ण समाधान दिवस 

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REPORT BY LOK REPORTER

AMETHI NEWS।

जनसामान्य की शिकायतों के त्वरित निस्तारण के उद्देश्य से आज जनपद की चारों तहसीलों में संपूर्ण समाधान दिवस का आयोजन किया गया। जिलाधिकारी निशा अनंत की अध्यक्षता में तहसील तिलोई में संपूर्ण समाधान दिवस आयोजित हुआ।

संपूर्ण समाधान दिवस में जिलाधिकारी ने शिकायतकर्ताओं की समस्या सुनकर मौके पर अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि शिकायतें लंबित न रखी जाये, शिकायतों को गम्भीरता से लिया जाये।

संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान पुलिस विभाग के संबंधित शिकायतों को पुलिस अधीक्षक अपर्णा रजत कौशिक ने सुना एवं संबंधित थानाध्यक्षों को निस्तारण के निर्देश दिए।

इन तहसीलों में 136 प्राप्त हुई शिकायतें

आज तहसील तिलोई में कुल 56 शिकायतें प्राप्त हुई जिनमें 11 शिकायतों का मौके पर निस्तारण कराया गया, तहसील गौरीगंज में 30 शिकायतें प्राप्त हुई जिनमें 01 का निस्तारण किया गया, तहसील अमेठी में 20 शिकायतें प्राप्त हुई जिसमें 01 का निस्तारण किया गया तथा तहसील मुसाफिरखाना में 50 शिकायतें प्राप्त हुई, जिसमें से 08 शिकायतों का निस्तारण किया गया। शेष शिकायतों के निस्तारण हेतु पुलिस और राजस्व की संयुक्त टीमें मौके पर भेजी गई।

संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान जिलाधिकारी ने समस्त जनपदीय अधिकारियों को निर्देश दिए की सभी अधिकारी अपने-अपने कार्यालय में प्रातः 10:00 बजे से 12:00 बजे तक जन समस्याओं को सुने तथा उनका प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करना सुनिश्चित करें।

सम्पूर्ण समाधान दिवस के दौरान उपजिलाधिकारी तिलोई अमित सिंह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अंशुमान सिंह, क्षेत्राधिकारी तिलोई, तहसीलदार तिलोई सहित जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद रहे।

चैत्र नवरात्रि के अवसर पर अष्टमी तिथि को जनपद के प्रसिद्ध मंदिरों में दुर्गा सप्तशती का पाठ/देवी गायन/रामायण पाठ का कार्यक्रम आयोजित

शासन के निर्देशों के क्रम में जनपद के समस्त तहसीलों व विकास खण्डों में स्थित प्रसिद्ध मंदिरों में चैत्र नवरात्रि/श्रीरामनवमी के पावन अवसर पर दुर्गा सप्तशती/देवी गायन/देवी जागरण/रामायण का पाठ किये जाने हेतु निर्देशित किया गया गया है।

जिसके अनुपालन में आज अष्टमी तिथि को जनपद की तहसील तिलोई अंतर्गत अहोरवा भवानी मंदिर सिंहपुर व हनुमान गढ़ी मंदिर तिलोई, तहसील अमेठी अंतर्गत मां कालिकन धाम संग्रामपुर, तहसील गौरीगंज अंतर्गत माता मवाई धाम मंदिर एवं तहसील मुसाफिरखाना अंतर्गत मां हिंगलाज धाम मंदिर व सिद्ध धाम हनुमान गढ़ी मंदिर कस्थूनी पूरब मुसाफिरखाना में दुर्गा सप्तशती का पाठ/देवी गायन/रामायण पाठ आयोजित किये गये। चैत्र नवरात्रि के अवसर पर आज अष्टमी तिथि को मंदिरों में अधिक से अधिक संख्या में श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की।

चैत्र नवरात्रि के अवसर पर माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। वैदिक तथा पुराणों में चैत्र नवरात्रि को विशेष महत्व दिया गया है। इसे आत्मशुद्धि तथा मुक्ति का आधार माना गया है चैत्र नवरात्रि में माँ दुर्गा का पूजन करने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और हमारे चारो ओर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जनपद के प्रसिद्ध देवी मन्दिरों पर सम्बन्धित अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित रहे।

संचारी रोगो के रोकथाम के लिये चूहा एवं छछुन्दर पर प्रभावी नियंत्रण आवश्यक- जिला कृषि रक्षा अधिकारी

जिला कृषि रक्षा अधिकारी हरिओम मिश्रा ने बताया है कि जे०ई०/ए०ई०एस० रोगों के प्रसार के लिये अन्य कारकों के साथ साथ चूहा/छछुन्दर भी उत्तरदायी है, इसलिये रोगों के रोकथाम के लिये चूहा एवं छछुन्दर का भी प्रभावी नियंत्रण आवश्यक है।चूहा, छछुन्दर जैसे जन्तु जापानी इंसफ्लाइटिस सिंड्रोम (ए०ई०एस०) लेप्टोस्पाइरोसिस व स्क्रब टाईफस जैसी अनेक प्रकार जानलेवा बीमारिया के बाहक हो सकते है।

ऐसे स्थान जहां घास, नमी, गंदगी ज्यादा होती है वहाँ इन बीमारियों की संभावना अधिक रहती है। संचारी रोग में मलेरिया, चेचक, हैजा, डेंगू बुखार, सुजाक, हेपेटाइटिस-ए, हेपेटाइटिस-बी, आते है। चूहों से होने वाले तंजम इंपजम मिअमत के बारे मे भी बताया गया, यह बुखार चूहों के काटनें या खरोचनें से होता है। उन्होने बताया है कि चूहे मुख्य रूप से 02 प्रकार के होते है घरेलू एवं खेत के चूहे घरेलू चूहा घर में पाया जाता है, जिसे चुहिया या मूषक कहा जाता है। खेत के चूहो में फील्ड रैट, साफ्ट फर्ड फील्ड रैट एवं फील्ड माउस प्रमुख है।

रोगों से बचाव की विधियां

नियंत्रण एवं बचाव की विधियों के सम्बन्ध में बताया है कि चूहो की संख्या को नियंत्रित करनें के लिये अन्य भण्डारण पक्का, कंकरीट तथा धातु से बने पात्रों में करना चाहिये ताकि भोज्य पदार्थ उन्हे आसानी से उपलब्ध न हो सके। घरों में खिड़कियों एवं रोशनदान पर जाली लगाकर एवं दरवाजों के नीचे खाली जगह पर टायर की पट्टी अथवा सीमेन्टे चौखट बनाकर चूहों को नियंत्रित किया जा सकता है।

चूहों के प्राकृतिक शत्रुओं बिल्ली, सॉप, उल्लू, लोमड़ी, चमगादड़ आदि द्वारा चूहों को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है इनको संरक्षण देने से चूहो की संख्या नियंत्रित हो सकती है। चूहे दानी का प्रयोग करके उसमें आकर्षक चारा जैसे रोटी, डबलरोटी, बिस्कुट आदि रखकर चूहों को फसाकर मार देने से इनकी संख्या नियंत्रित की जा सकती है। घरों में ब्रोमोडियोलॉन 0.005 प्रति० के बने चारें के 10 ग्राम मात्रा प्रत्येक जिन्दा बिल में रखनें से चूहें खाकर मर जाते है।

एल्युमिनियम फास्फाइड़ दवा की 3-4 ग्राम मात्रा प्रति जिन्दा बिल में डालकर बिल बंद कर देने से उससे निकलने वाली गैस फास्फीन गैस से चूहे मर जाते है। घर के बाहर कैक्टस व झाड़ीदार पौधें लगानें से चूहे घर में प्रवेश नही करते है तथा मच्छरों की रोकथाम के लिए मच्छर रोधी पौधे जैसे तुलसी, गेंदा, पिपरमेंट, लेमनग्रास, जंगली तुलसी लगाये।

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