MAHA KUMBH 2025 : श्री पंच दशनामी शंभू पंचायती अग्नि अखाड़े के साधुओं का दीक्षा समारोह
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REPORT BY LOK REPORTER
PRAYAGRAJ NEWS।
प्रयागराज महाकुम्भ में श्री पंच दशनामी शंभू पंचायती अग्नि अखाड़े के साधुओं का दीक्षा समारोह। संसार की मोह माया को त्यागकर संन्यास दीक्षा ग्रहण करने वाले इन साधुओं के लिए अब गुरु ही जीवन है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है।
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा।
गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम:।।
प्रयागराज महाकुम्भ में आए सभी अखाड़ों में विशेष है श्री पंच दशनामी शंभू पंचायती अग्नि अखाड़ा। ये पूरी तरह ब्रह्मचारी अखाड़ा है। यहां से निकले संतों को सभी अखाड़ों में प्रवेश मिल सकता है।
लेकिन किसी दूसरे अखाड़े के संत इस अखाड़े में शामिल नहीं हो सकते है। इस अखाड़े में गाय की सेवा औऱ वेद पाठ नियमित दिनचर्या का हिस्सा है।
प्रयागराज महाकुम्भ में मौनी अमावस्या अमृत स्नान से पहले इन साधुओं का दीक्षा संस्कार हुआ। अब ये संत अपने गुरु के सानिध्य में अमृत स्नान करेंगे, और फिर निकल जाएंगे देश के विभिन्न हिस्सों में सनातन धर्म के रक्षार्थ।
आइये जानते हैं क्या है श्री पंच दशनामी शंभू पंचायती अग्नि अखाड़ा
श्री पंच दशनामी शंभू पंचायती अग्नि अखाड़ा भारत के प्रमुख सनातन धर्मी धार्मिक संगठनों में से एक है। यह अखाड़ा हिन्दू संन्यासियों के 13 प्रमुख अखाड़ों में से एक है और प्राचीन परंपराओं का पालन करते हुए धर्म और संस्कृति के संरक्षण के लिए समर्पित है।
“अग्नि अखाड़ा” नाम अग्नि (पवित्र अग्नि) से जुड़ा हुआ है, जो शक्ति, शुद्धता और ऊर्जा का प्रतीक है।”पंच दशनामी” का अर्थ है दस नामों की परंपरा, जिसे आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया था।
अग्नि अखाड़ा का मुख्य उद्देश्य धर्म की रक्षा, समाज में सनातन मूल्यों का प्रचार-प्रसार, और आध्यात्मिक साधना को प्रोत्साहित करना है।यह अखाड़ा विशेष रूप से शैव परंपरा से जुड़ा हुआ है और भगवान शिव की आराधना को प्राथमिकता देता है।
अखाड़े का संरचना और साधु परंपरा
इसमें ज्यादातर संन्यासी और नागा साधु शामिल होते हैं। नागा साधु भगवान शिव के अनुयायी होते हैं, जो कठिन तपस्या और जीवन की कठिन साधना का पालन करते हैं। अखाड़े में साधुओं को धार्मिक, शारीरिक और मानसिक रूप से प्रशिक्षित किया जाता है।
श्री पंच दशनामी शंभू पंचायती अग्नि अखाड़ा के मुख्य आश्रम विभिन्न तीर्थ स्थलों पर स्थित हैं। कुंभ मेलों के दौरान यह अखाड़ा प्रमुख रूप से अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है।
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