“गांधी व्यक्ति नही एक दर्शन हैं
1 min readअर्जुन पाण्डेय-
भारतीय संस्कृति धरातल की धरोहर है। भारतीय दर्शन विविधताओं से भरा पड़ा है, जहां समय- समय पर अनेकानेक महापुरुषों ने जन्म लेकर भारतीय संस्कृति को क्षितिज पर आलोकित किया, उन्हीं में से एक नाम है महात्मा गांधी का।आज सारी दुनिया के लोग गांधी जी को मार्क्स के ऊपर रखने के लिए तैयार हैं।उक्त बाते प्रोफेसर डा अर्जुन पाण्डेय ने अमेठी मे कही।
उन्होंने कहा कि गाँधी जी को संस्कार परिवार से मिला। माता पुतलीबाई धर्म परायण महिला रहीं, जिन्होंने धर्म एव संस्कृति के ज्ञान को कूट- कूटकर गांधी जी के अन्दर भर कर संस्कारवान बनाया। बैरिस्टर की उपाधि बिना पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में आये प्राप्त करना मां को दिये गये वचनों के प्रभाव की देन है।
प्रोफेसर डा पाण्डेय ने कहा कि पूज्य बापू जी को राजनीति, धर्म एवं अध्यात्म की शिक्षा गोपाल कृष्ण गोखले से कलकत्ता में एक मास के प्रवास दौरान मिली। गांधी जी ने सत्य ,अहिंसा एवं प्रेम को जीवन जीने का अस्त्र बनाया। हरिश्चंद्र के नाटक एवं श्री रामचरितमानस ने गांधी जी के जीवन की दिशा ही बदल दी। “परहित सरिस धरम नही भाई” को अपना कर देश सेवा का व्रत लेकर, साबरमती के संत बने और घर- परिवार त्याग कर देश सेवा में अपने को न्यौछावर कर दिया। चम्पारण में गरीबी देखकर सूट- बूट वाले गांधी ने लंगोटी धारण कर लिया।भारत की आत्मा गांवों में बसती है।इसी लिए गांधी जी गांव को ऊपर उठाना चाहते थे।
आगे कहा कि गांधी जी को महात्मा की उपाधि ६ मार्च १९१५ को रवीन्द्र नाथ टैगोर से मिली। २अक्टूबर १९१५ को सुभाष चन्द्र बोस जी द्वारा राष्ट्रपिता कहकर पहली बार पुकारा गया।
उन्होंने कहा कि यद्यपि आज नयी पीढ़ी गांधी जी पर टिप्पणी करने लगी है। इसके बावजूद गांधी जी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। गांधी जी की मान्यता देश की तुलना में बाहर के देशों में अधिक है ।
आगे कहा कि गांधी जी एवं स्वामी विवेकानंद का सर्व धर्म समभाव हमें सार्वभौमिकता की ओर ले जाता है। गांधी जी का सादगी पूर्ण जीवन एवं विवेकानंद जी के ऊंचे विचार सादा जीवन उच्च विचार की संकल्पना को साकार करते हैं।देश को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोकित करने हेतु गांधी एवं विवेकानंद के दर्शन को अपनाना होगा।