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WEB STORY : चोर ने कैसे की गरीब के लड़की की शादी के लिए मदद !

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story by lok reporter 

एक नगर में एक सेठ और एक गरीब का घर बगल- बगल था।सेठ को कभी मलाल नहीं होता था कि एक गरीब उसका पड़ोसी है। उस गरीब व्यक्ति को एक बेटी थी जिसका नाम रागिनी था, वो सयानी हो चुकी थी।एक रोज़ गरीब ने सेठ से कुछ धन उधार माँगा ताकि अपनी सयानी हुई बेटी के हाथ पीले किये जा सकें।परन्तु सेठ ने उसे धन देने से इनकार कर दिया।

उसी रात सेठ के घर में एक चोर घुस आया। अभी तक सेठ और सेठानी सोये नहीं थे,तो चोर वहीं पर दुबक कर बैठ गया।सेठ सेठानी आपस में बातें कर रहे थे कि “देखते ही देखते रागिनी विवाह योग्य हो गई है।” सेठानी ने कहा।हां कुंवारी लड़कियां बहुत जल्दी बढ़ती हैं पता ही नहीं चलता कब सयानी हो गई हैं।” सेठ ने कहा।“अब रागिनी के पिता को उसके हाथ पीले कर देने चाहिए, पता नहीं उसके माता पिता क्यों नहीं ये बात सोच रहे।

”सेठानी ने कहा,“वो सोच तो रहें हैं पर उनके पास धन की कमी है,आज रागिनी के पिता ने मुझसे कुछ धन उधार मांगा।”सेठ ने बताया,“तो क्या आपने उसको धन दिया” सेठानी ने पूछा,नहीं मैंने उसे देने से इनकार कर दिया, ये सोचकर की वो गरीब आदमी किस प्रकार धन लौटाएगा ……….. पर मुझे लगता है रागिनी के पिता को कुछ धन दे देना चाहिए लड़की का कन्यादान ही समझ कर इससे हमें कुछ पुण्य मिल जाएगा,परंतु अब उसे मैं नहीं दे सकता,क्योंकि मैं धन के लिए जिसको एक बार मना कर देता हूँ तो उसे धन नहीं देता हु या कहते हुए सेठ ने आह भरी!,कुछ देर बाद सेठ सेठानी बातें करते करते सो जाते हैं।

चोर ने सेठ के घर से धन की पोटली चुरा ली और सेठ के घर से बाहर निकल आया। सेठ के घर से निकालने के बाद उसे याद आया की उसकी पत्नी ने कुछ बर्तन चुरा कर लाने के लिए बोला था।,वो तो वह भूल ही गया, पर अब दुबारा सेठ के घर में घुसना उसे सुरक्षित नहीं लगा,तो उसने सोचा कि क्यों ना गरीब के घर से कुछ बर्तन चुरा ले,यह सोचकर वह गरीब के घर में बरतन चुराने के उद्देश्य से घुस गया,गरीब के घर में उसकी पत्नी वा गरीब व्यक्ति दोनों जग रहे थे,जिस व्यक्ति की सयानी बेटी घर में कंवारी बैठी रहे आखिर उन माता पिता को नींद आए भी तो कैसे आये,यह सब सुनकर चोर दुबक कर बैठ गया।

वो सुनता है कि सेठ ने धन देने से इनकार कर दिया, गरीब की पत्नी ने कहा“ हाँ! इनकार कर दिया, पर वो अपनी जगह सही भी है,वो व्यापारी आदमी है उन्हें धन का लेन देन करना होता है,हम उन्हें समय पर धन नहीं लौटा पाये तो उनके व्यापार की पूँजी लटक जाएगी। फिर उन्हें भी अपना सोचना होगा गरीब ने ये कहते हुए ठंडी आह भरी।

परन्तु आप जानते हो न रागिनी की उम्र 18 वर्ष हो चुकी है और उन सन्यासी बाबा ने कहा था कि अगर 19 वर्ष के होने तक इसका विवाह नहीं किया तो रागिनी की मृत्यु हो जाएगी,रागिनी को 19 वर्ष की होने में केवल 7 मास शेष बचे हैं। नहीं तो हमारी इकलौती बेटी हमारे बुढ़ापे में बेसहारा छोड़कर भगवान को प्यारी हो जाएगी।” गरीब की पत्नी ने सुस्कते हुए कहा।

हाय रे मेरी किस्मत! मुझे गरीब के घर पैदा किया और साथ में रागिनी को मिला अभिशाप…,मैं क्या करूँ… कहाँ से धन लाऊँ उसका कन्यादान करने के लिए…इससे बेहतर ईश्वर रागिनी की जगह मेरे प्राण ले लो।” गरीब ने आह भरी।चोर सब सुन रहा था। चोर ने सोचा मैं तो अपनी मौज मस्ती के लिए चोरी करता हूँ,असली धन की आवश्यकता तो इस गरीब को है वरना इसकी बेटी की मृत्यु हो जाएगी।

सन्तान को खोने का दर्द चोर समझता था।दो वर्ष पूर्व उसके छोटे पुत्र की स्नेक विष से मृत्यु हो चुकी थी जिसको वह बहुत स्नेहा करता था,चोर ने सोचा मुझसे अच्छा तो वो सेठ ही हैं,जिसने कम से कम इसे धन देने का सोचा तो सही। चोर ने रसोई में से कुछ बर्तन चुरा लिया और अपने साथ में लाई झोली में डाल लिया।चूल्हे में से एक कोयला निकाला और आँगन में ये लिख दिया।“सेठ की तरफ से रागिनी के विवाह के लिए दिया गया धन…. एक चोर।”

उसके पास धन की पोटली रखकर और चुराए हुए बर्तन लेकर वहाँ से रफूचक्कर हो गया।क्योंकि उसे भी पत्नी से उलाहना नहीं लेना था,सुबह दोनों घरों में हड़कंप था।सेठ के यहाँ धन चोरी से और गरीब के यहाँ धन मिलने से व बर्तन चोरी होने से,एक बार गरीब ने सोचा क्यों न धन छुपा लूँ।इससे रागिनी का विवाह कर दूँगा।फिर उसने सोचा कि लोग पूछेंगे तो क्या कहूंगा धन कहाँ से आया और लोग शक करेंगे सेठ के घर मैंने चोरी की है।

मुझसे अच्छा तो वो चोर ही निकला,जो मेरी व्यथा सुनकर चुराया हुआ धन रागिनी के विवाह के लिए छोड़कर चला गया।जब एक चोर इतनी दयालुता दिखा सकता है तो क्या मैं ईमानदारी नहीं निभा सकता,गरीब व्यक्ति धन की पोटली सेठ के घर ले गया और सारा किस्सा कह सुनायासेठ को अपने घर लाकर चोर की लिखी हुई बात भी पढ़वाई,सेठ ने कहां ‘एक चोर इतना अच्छा हो सकता है।

चुराया हुआ धन इस गरीब की बेटी के विवाह के लिए छोड़ कर जाता है और कहता है कि सेठ की तरफ से है,तो क्या मैं इस गरीब की बेटी के लिए कुछ धन नहीं दे सकता।सेठ ने गरीब को उस पोटली में से धन दे दिया और कहा “ये धन ले लो ..ये धन रागिनी के विवाह के लिए है और इसे लौटाने की भी जरूरत नहीं है।

यह सुनकर गरीब बोला, “सेठ जी आप बहुत दयालु व उदार हैं।” “अच्छा न मैं हूँ न तुम हो,अच्छा तो वो चोर था जिसने रागिनी के विवाह की व्यवस्था कर दी।मेरे पास धन होते हुए भी मैंने तुम्हें देने से इंकार कर दिया और वो चुराया हुआ धन भी दे गया।काश ऐसे अच्छे चोर और भी होते।सेठजी ने ये कहते हुए गरीब को अपने हृदय से लगा लिया।

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