TAWANG PILGRIMAGE : तवांग तीर्थ- यात्रा में भारत की आत्मा रची- बसी हुई है – पंकज गोयल
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REPORT BY JAYA AGRAWAL
NEW DELHI NEWS I
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं भारत तिब्बत सहयोग मंच के मार्गदर्शक डॉ. इन्द्रेश कुमार के मार्गदर्शन में संचालित मंच तिब्बत की आजादी, कैलाश मानसरोवर की मुक्ति, हिमालय की रक्षा, पर्यवरण की सुरक्षा एवं अन्य सम-सामयिक मुद्दों को लेकर अनवरत 25 वर्षों से कार्य कर रहा है| मंच अपनी सक्रियता, कार्यक्रमों एवं जन- जागरण के माध्यम से नित नई उपलब्धियों के साथ आगे बढ़ता जा रहा है|
उपलब्धियों की दृष्टि से मंच की बात की जाये तो तमाम उपलब्धियों के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, तवांग तीर्थ-यात्रा| तवांग तीर्थ-यात्रा को इन्द्रेश जी ने वर्ष 2012 में प्रारम्भ किया था| इस वर्ष यात्रा 19 से 25 नवम्बर तक आयोजित होगी| इस बार आयोजित होने वाली 13 वीं तवांग तीर्थ-यात्रा नया इतिहास रचने के लिए तैयार है|
पंकज गोयल का कहना है कि यदि तवांग तीर्थ- यात्रा का निष्पक्ष रूप से विश्लेषण किया जाये तो बिना किसी लाग – लपेट के कहा जा सकता है कि इस यात्रा का उदेश्य बेहद पवित्र है| इस यात्रा को नवम्बर मास में आयोजित करने का एक ख़ास मकसद यह भी है कि दुष्ट चीन ने 20 अक्टूबर 1962 को हिन्दी चीनी भाई भाई के नारे को दरकिनार करते हुये भारत पर आक्रमण कर दिया था l इसी अरुणाचल प्रदेश में हमारे वीर सैनिकों ने अपर्याप्त संसाधनों के बावजूद चीनी सैनिको को मुहतोड़ जवाब दिया था l
सैनिकों कि वीरता से घबराकर चीनी सैनिकों को पीछे हटने को मजबूर होना पड़ा l सन 1962 में ही 14 नवम्बर को भारतीय संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र में यह संकल्प लिया गया था कि चीन द्वारा हाथयाई गई भूमि का एक-एक इंच वापस लिया जायेगा l ज़ब तक सारी भूमि वापस नहीं ले ली जायेगी तब तक चैन से नहीं बैठा जायेगा l
इस यात्रा के माध्यम से देश के हुक्ममारानों को यह याद दिलाया जाता है कि 14 नवम्बर 1962 को भारतीय संसद में लिए गए संकल्प को पूरा करने का समय आ गया है l इस संकल्प को पूरा करने के लिए सरकार आगे बड़े और देशवासियों को गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान करे l
मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि प्रत्येक भारतवासी को सूर्य की धरती के रूप में सुविख्यात अरुणाचल प्रदेश के बुमला बॉर्डर तक की यात्रा एक बार जरूर करनी चाहिए| इससे पूरे राष्ट्र को जानने एवं समझने का भरपूर अवसर मिलेगा l