MODI’S BIRTHDAY : भारत राष्ट्र के आधुनिक शिल्पकार नरेंद्र मोदी
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PRESENTED BY ARVIND JAYTILAK
आज देश के प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी का जन्मदिन है। देश उन्हें ढ़ेरों बधाईयां और शुभकामनाओं से नवाज रहा है। सैकड़ों साल बाद भारत राष्ट्र का स्वरुप, चरित्र-चिंतन और उसकी व्याख्या का दायरा एवं उसके मूल्यों को मापने व परखने का मापदण्ड क्या होगा उसकी भविष्यवाणी आज संभव नहीं है। लेकिन जब भी राष्ट्र को गढ़ने-बुनने, संवारने-सजाने एवं असमानता व अन्याय पर आधारित समाज के खिलाफ तनकर खड़ा होने वाले राजनीतिक किरदारों का इतिहासपरक मूल्यांकन होगा उस कतार में देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहज ही चमकते सूर्य की तरह नजर आएंगे।
जिस साहस और कर्मठता के साथ उनकी सरकार लगातार 10 वर्षों से राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता को पुष्ट करते हुए दबे-कुचले वंचितों, शोषितों एवं पीड़ितों के लिए नीतियां गढ़ एक समतामूलक समाज के निमार्ण की दिशा में आगे बढ़ रही हैै, वह एक कालजयी मिसाल है। प्रधानमंत्री मोदी को समझने के लिए वर्तमान समाज की बुनावट, उसकी स्वीकृतियां, विसंगतियां एवं धारणाओं को भी समझना आवश्यक है। इसलिए कि उन्होंने समय की मुख्य धारा के विरुद्ध तन कर खड़ा होने और बदले में अपमानित और उत्पीड़ित करने वाली हर प्रवृत्तियों के ताप को नजदीक से सहा है। आज भी उनके प्रति नफरत और द्वेष का विषवमन यथावत है। बावजूद इसके वे राष्ट्रनिर्माण की सर्जनात्मक जिद् पर अड़े हुए हैं।
उनके राजनीतिक जीवन पर नजर डालें तो अति सामान्य-गरीब परिवार में पैदा हुए नरेंद्र मोदी के पास न तो विजेता की सैन्य शक्ति थी और न ही सत्ता का सिंहासन। एकमात्र राष्ट्रवादी विचारों का बल था जिसके बूते वह भारत राष्ट्र को गढ़ने का संकल्प लिया। हर समाज की भेदभावपरक व्यवस्था ही व्यक्ति के विचारों को तार्किक आयाम और जोखिम उठाने की ताकत देती है। साथ ही राष्ट्रविरोधी शक्तियों से मुठभेड़ का माद्दा भी। प्रधानमंत्री मोदी ने इस जज्बे को जीया है। इसके बिना न तो राष्ट्र व समाज के गुणसूत्र को बदला जा सकता है और न ही सामाजिक-आर्थिक गैर-बराबरी को समाप्त कर एक महान राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने देश का कमान संभालते ही जिस अंदाज में राजनीति के सामंती ढांचे को उखाड़ फेकने के साथ एक समृद्ध भारत की मजबूत नींव रखी, वह आज बुलंद भारत की शानदार व शक्तिशाली तस्वीर के तौर पर सामने है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है। कहा जाता है कि अगर देश के किसान समृद्ध और स्वस्थ होंगे तो राष्ट्र के चेहरे पर मुस्कान होगा। अर्थव्यवस्था कुलांचे भरेगी। कल-कारखाने के पहिए नाच उठेंगे और रोजगार का सृजन होगा। विगत दस वर्षों के कालखंड में प्रधानमंत्री मोदी ने यह कर दिखाया है। देश के किसानों की आमदनी तेजी से बढ़ी है। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही कृषि क्षेत्र में आमूलचुल परिवर्तन का युग प्रारंभ हुआ। कृषि और किसान सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में शामिल हुए। किसान कल्याण की भावना सरकार की रीति-नीति व नीयत का हिस्सा बन गया। सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील हुई और कल्याणकारी योजनाओं के जरिए उनके विकास में जुट गयी।
सरकार ने सबसे पहले देश का भाग्य संरचनात्मक रुप से कृषि और किसानों से जोड़ा और उसके सकारात्मक परिणाम सामने हैं। सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य की गणना करते समय ए2$ एफएल फॉर्मूला को अपनाया। सरकार ने कृषि उत्पादन के नकद व अन्य सभी खर्चों समेत किसान परिवार के श्रम के मूल्य को भी जोड़ दिया। साथ ही मजदूरी, बैलों अथवा मशीनों पर आने वाला खर्च, पट्टे पर ली गयी जमीन का किराया, बीज, खाद, तथा सिचाई खर्च भी इसमें जोड़ा। यानी किसान जो मांग कर रहे थे उसे शत-प्रतिशत पूरा किया। इस पहल से किसानों की आमदनी बढ़नी शुरु हो गयी। मोदी सरकार ने कृषि और किसानों की जरुरतों को पूरा करने के लिए ऋण से लेकर सब्सिडी, इंसेटिव और फसल बीमा का लाभ देना शुरु कर दिया।
वर्ष 2014 तक जो कृषि बजट 25000 करोड़ से भी कम हुआ करता था सरकार के प्रयास से बढ़कर 1.52 लाख करोड़ तक पहुंच गया। वर्ष 2014 से पहले जो कृषि क्षेत्र संकटग्रस्त और घाटे का सौदा हुआ करता था वह आज मुनाफे के सौदे में तब्दील होने लगा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दस साल के कालखंड में भारत दुनिया में सर्वाधिक तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है। 2014 से पहले औंधे मुंह पड़ी विकास दर, कमरतोड़ महंगाई और उत्पादन में कमी से निपटते हुए मोदी सरकार ने मैक्रो-इकनॉमिक फंडामेंटल्स को मजबूत करते हुए अर्थव्यवस्था को नई उर्जा और ऊंचाई दी है। आज उसी का परिणाम है कि भारत ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल किया है।
अब भारत से आगे सिर्फ अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी की अर्थव्यवस्था है। ब्लुमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने ऊंची छलांग लगायी है और जीडीपी 13.5 फीसद की दर से आगे बढ़ी है। भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग की रिपोर्ट से भी उद्घाटित हो चुका है कि भारत 2029 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रुप में उभर सकता है। यह प्रधानमंत्री मोदी के सतत पयास और ईमानदार नेतृत्व का ही कमाल है। गौर करें तो 2014 में भारत आर्थिक रुप से दसवें पायदान पर था। लेकिन उपभोक्ता खर्च में आई तेजी, घरेलू स्तर पर बढ़ी मांग और सेवा क्षेत्र में लगातार विस्तार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नए मुकाम पर पहुंचा दिया है। आज उसी का नतीजा है कि भारत जी-20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश बन चुका है।
आंकड़ों पर गौर करें तो आज भारत में सबसे ज्यादा स्मार्टफोन डेटा उपभोक्ता हैं। सबसे ज्यादा इंटरनेट यूजर्स के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है। भारत तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। इनोवशन इंडेक्स में भारत की रैंकिंग लगातार सुधर रही है। देश में यनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी यूपीआइ के जरिए लेन-देन बढ़ा है। एसबीआई के इकानॉमिक रिसर्च डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक यूपीआइ लेन-देन की मात्रा वर्ष 2017 में 1.8 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 8.375 करोड़ हो गयी है। यह परिदृश्य एक सशक्त और आत्मनिर्भर भारत का प्रकटीकरण है। एक ताकतवर अर्थव्यवस्था और कुशल नेतृत्व का परिणाम है कि आज वैश्विक जगत में भारत की विश्वसनीयता, स्वीकार्यता और मान-सम्मान में चार चांद लगा है।
प्रधानमंत्री मोदी की सफल कूटनीति से आज अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, जर्मनी, आस्टेªलिया, रुस, यूएई और सऊदी अरब सरीखे देश भारत के करीब आए हैं वहीं चीन और पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर करारी शिकस्त मिल रही है। किसी भी राष्ट्र की विदेशनीति को प्रभावित करना या अपने अनुकूल बनाना आसान नहीं होता। विशेष रुप से तब जब अमेरिका जैसे ताकतवर देश की विदेशनीति को प्रभावित करना हो अथवा उसे अपने अनुकूल बनाना हो। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने यह कमाल भी कर दिखाया है। आज भारत का अमेरिका के साथ उतना ही मजबूत संबंध है जितना कि उसके प्रतिद्वंदी रुस के साथ है। भारत अमेरिका के साथ मिलकर सामरिक साझेदारी की नई मिसाल पेश कर रहा है।
अमेरिका-भारत रक्षा सौदे का बजट जो पिछले एक दशक में 2008 तक शुन्य था वह आज 2024 में बढ़कर 20 बिलियन डॉलर के पार पहुंच चुका है। अगर दोनों देशों के बीच इसी तरह सामरिक सामंजस्य और भरोसा बना रहा तो वर्ष 2025 तक दोनों देशों के बीच रक्षा सौदा 30 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। गौर करें तो आज अमेरिका भारत के साथ मिलिट्री टू मिलिट्री संबंध व सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। रुस के साथ भी भारत का ऐतिहासिक और शानदार संबंध हैं। अमेरिका और चीन के लाख ऐतराज व मनाही के बावजूद भी रुस ने भारत को एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम देने की प्रतिबद्धता जताकर साफ कर दिया है कि दोनों देश सदाबहार और भरोसेमंद साथी हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 समिट के दौरान अपने कुशल नेतृत्व के बूते रुस और चीन समेत सभी देशों के बीच नई दिल्ली घोषणापत्र पर सौ फीसदी सहमति जुटाकर साबित कर दिया कि पारदर्शी और ईमानदार सोच के जरिए किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
(लेखक एक वरिष्ठ स्तंभकार हैं, लेख में उनके अपने विचार हैं )