गायत्री शक्तिपीठ पर सामूहिक श्राद्ध-तर्पण, यज्ञ सम्पन्न
1 min readरविवार की सुबह पितृ अमावस्या के अवसर पर सामूहिक श्राद्ध-तर्पण का आयोजन गायत्री शक्तिपीठ अमेठी पर सम्पन्न हुआ। बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने अपने पितरों को याद किया व उन्हें श्रद्धा भाव के साथ पिंडदान व तर्पण किया। परिव्राजक आचार्य इंद्रदेव ने विधिवत मंत्रोच्चार के साथ श्राद्ध-तर्पण का कार्यक्रम सम्पन्न कराया। गायत्री परिवार द्वारा पितृ पक्ष में प्रतिदिन श्राद्ध- तर्पण का कार्यक्रम कराया गया I पितृ विसर्जन के दिन आज श्राद्ध तर्पण के साथ ही पंचकुण्डीय गायत्री महायज्ञ सम्पन्न कर पितरों को विदाई दी गई। आचार्य इंद्रदेव ने कर्मकांड की महत्ता पर सभी को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में यह तथ्य घोषित किया गया है कि मृत्यु के साथ जीवन समाप्त नहीं होता। अनंत जीवन श्रृंखला की एक कड़ी मृत्यु भी है, इसलिये संस्कारों के क्रम में जीव की उस स्थिति को भी बाँधा गया है। पितरों के निमित्त पितृ पक्ष में जो कर्म कांड किये जाते हैं, उनका लाभ जीवात्मा को कर्म कांड करने वाले की श्रद्धा के माध्यम से प्राप्त होता है। इसलिए इन क्रियाओं को श्राद्धकर्म भी कहा जाता है। अपने पितरों की तृप्ति के लिए प्रत्येक मनुष्य को पितृ पक्ष में श्रद्धा भाव के साथ तर्पण एवं श्राद्धकर्म अवश्य करना चाहिए। उन्होंने इस अवसर पर कर्म कांड में सम्मिलित सभी महानुभावों को अपने पितरों के नाम से पुण्य कार्य करने का संकल्प दिलाया। उन्होंने सभी को अपने पितरों की स्मृति में वृक्ष लगाने हेतु प्रेरित किया। श्राद्ध कर्म के पश्चात पांच कुंडों पर हवन का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ, जिसमें पितरों के साथ-साथ विगत दिनों दिवंगत हुए गायत्री परिवार की वरिष्ठ परिजन सरला श्रीवास्तव व अयोध्या प्रसाद पांडेय की आत्मा की शांति हेतु आहुति दी गई।
अंत में गायत्री शक्तिपीठ के व्यवस्थापक डॉ० त्रिवेणी सिंह ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस सामूहिक श्राद्ध तर्पण संस्कार को सभी के सहयोग से प्रतिवर्ष पितृ पक्ष में आयोजित किया जायेगा. हमारी संस्कृति इतनी समृद्ध है कि इन्हीं कर्मकांडों के माध्यम से हम समस्त जीव-जंतु, पेड़-पौधे और अतृप्त आत्माओं के निमित्त कर्म-कांड करते हैं, आज आवश्यकता है कि घर-घर में भारतीय संस्कृति, सभ्यता और संस्कारों की पुनर्स्थापना हो। गायत्री परिवार गृहे गृहे गायत्री यज्ञ एवं अन्य रचनात्मक कार्यों के माध्यम से अपना कार्य कर रहा है।
कार्यक्रम की व्यवस्था में सुभाष चंद्र द्विवेदी, प्रवीण सिंह, घनश्याम वर्मा, आदित्य पटेल लगे रहे।
आज के कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सत्येंद्र सिंह, राघवेंद्र सिंह, सुभाष तिवारी, अशोक सिंह, अनिल अग्रहरि, रोहित दास, अनिल पांडेय, महेश बरनवाल, मंजू सिंह, रामफेर विश्वकर्मा आदि सम्मिलित रहे।