BREAKING NEWS : यूपी पुलिस अधिनियम को लेकर हाईकोर्ट ने दिया ये फैसला______
1 min readREPORT BY LOK REPORTER
PRAYAGRAJ NEWS।
यूपी पुलिस अधिनियम पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है जिसमें प्रभारी निरीक्षक के खिलाफ शुरू किए गए मामले में एक मजिस्ट्रेट गवाह और न्यायाधीश नहीं हो सकता है । आज सुनाये गए इस फैसले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यूपी पुलिस अधिनियम की धारा 29 के तहत प्रभारी निरीक्षक के खिलाफ उनके द्वारा शुरू किए गए मामले में एक ही मजिस्ट्रेट गवाह और न्यायाधीश नहीं हो सकता है ।
यूपी पुलिस अधिनियम की धारा 29 में उल्लिखित पुलिस अधिकारी द्वारा कर्तव्यों की उपेक्षा के लिए दंड का प्रावधान है, जिसमें कानून के किसी भी प्रावधान या सक्षम प्राधिकारी द्वारा दिए गए वैध आदेश का जानबूझकर उल्लंघन या उपेक्षा शामिल है।
ऐसे दोषी पुलिस अधिकारी के लिए दंड तीन महीने तक का वेतन, या कारावास, कठोर श्रम के साथ या उसके बिना, तीन महीने से अधिक की अवधि के लिए, या दोनों हो सकते हैं। यूपी पुलिस एक्ट की धारा 29 के साथ पठित यूपी पुलिस रेगुलेशन के रेगुलेशन 484 और 486 पर चर्चा करते हुए कोर्ट ने कहा कि “इसलिए प्रक्रिया यह स्पष्ट करती है कि एक ही मजिस्ट्रेट गवाह और स्वयं न्यायाधीश नहीं हो सकता है।
इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ आगे बढ़ने के लिए विद्वान मजिस्ट्रेट द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया यहां ऊपर उल्लिखित विनियमों के साथ पढ़े गए पुलिस अधिनियम 1861 की धारा 29 के प्रावधानों के अनुरूप नहीं थी।