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श्रद्धा और सद्भाव के साथ मनाया गया गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व

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REPORT BY VIRENDRA YADAV

AMETHI NEWS ।

सिक्खों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी का प्रकाश पर्व नगर में श्रद्धा एवं सद्भाव के वातावरण में मनाया गया। बाबा मनोहर सिंह जी के मार्गदर्शन में गुरु गोबिंद सिंह जी लंगर आयोजन समिति ने विचार गोष्ठी, भजन कीर्तन और अटूट लंगर का आयोजन किया। पंजाब मेल‌ ट्रेन से श्री पटना साहिब जाने वाले यात्रियों को रेलवे स्टेशन पर लंगर बांटे गए।

बाबा मनोहर सिंह ने सुबह गुरु साहिब की अरदास लगाई। श्रद्धालुओं ने मत्था टेका। गुरु साहब को भोग लगाने के बाद श्री पटना साहिब जाने वाले यात्रियों को लंगर वितरित किए गए। प्रकाश पर्व पर आयोजित कार्यक्रम और लंगर में भाजपा की वरिष्ठ नेत्री और पूर्व प्रमुख रश्मि सिंह ने भी अपनी सेवाएं दीं।

खालसा पंथ और सिक्ख धर्म ही हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा रक्षक

प्रकाश पर्व पर चाणक्यपुरी लंगर स्थल पर विचार गोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। बाबा मनोहर सिंह और डा अर्जुन पांडेय ने गुरु गोबिंद सिंह जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किए। डा0 विजय लक्ष्मी सिंह ने गुरुसत्ता को प्रणाम करते हुए गणेश वंदना और सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।

लंगर समिति के सचिव सदाशिव पांडेय ने गुरु गोविंद सिंह जी के जन्म, उनके जीवन और मुगलों की ओर से जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने के विरुद्ध उनके संघर्ष का उल्लेख किया, कहा कि हिन्दू धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए उन्होंने अपने चार पुत्रों का बलिदान कर दिया।सवा लाख से एक लड़ाऊं,चिडियन से मैं बाज लड़ाऊं,तो गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं-

डा शिवम् तिवारी ने कहा कि भारत, भारतीयता और भारतीय संस्कृति की रक्षा में गुरु गोबिंद सिंह जी का महान बलिदान तब तक याद किया जाएगा,जब तक सृष्टि रहेगी।डा अवधेश मिश्रा बेलौरा ने कहा गुरु गोबिंद सिंह जी ने धर्म की रक्षा को पुत्र मोह को त्याग दिया और खालसा पंथ के माध्यम से मुगल शासक औरंगजेब को करारा जवाब दिया।

वरिष्ठ पत्रकार अम्बरीश मिश्र ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना के साथ जीवन पर्यन्त संघर्ष किया।संसार को मानवता की सेवा करने की सीख दी। अध्यक्षीय सम्बोधन में साहित्य प्रेमी विद्वान और जल योद्धा डा0 अर्जुन  पांडेय ने कहा कि धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी ने जैसा संघर्ष और बलिदान किया वैसा उदाहरण दुनिया के इतिहास में कोई और नहीं मिलता। गुरु गोबिंद सिंह शक्ति और ऊर्जा के प्रतीक हैं।

गुरु गोबिंद सिंह जी ने शौर्य, धर्मनिष्ठ जीवन की शिक्षा दी है। उन्होंने हर व्यक्ति को अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान देने और जरुरत मंदो की सेवा पर खर्च करने का संदेश दिया है। सेवादार सुनील त्रिपाठी ने आभार के साथ विचार गोष्ठी का समापन किया। कार्यक्रम का संचालन सेवादार संजीव भारती ने किया।

श्रीमती त्रिपाठी, हरवंश सिंह, सतीश मिश्र,गुरु मिंदर सिंह, सुक्खा सिंह, साधना त्रिपाठी, श्री नाथ आदि मौजूद रहे। सुरेन्द्र कौर, परमजीत कौर, दीपमाला, श्रवण कुमार मिश्र आदि ने भी लंगर में अपनी सेवाएं दीं।

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