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गोपी गीत से ही हुआ था महारास का उद्भव : स्वामी बलरामाचार्य

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वृन्दावन,मथुरा।कैलाश नगर-सेक्टर 2 स्थित कल्पतरु सेवा संस्थान में पितृ पक्ष के उपलक्ष्य में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ में व्यासपीठ से प्रख्यात भागवताचार्य धर्मरत्न स्वामी बलरामाचार्य महाराज ने गोपी गीत की महिमा बताते हुए कहा कि यह शरद पूर्णिमा की रात्रि की हुई महारास लीला का प्रमुख आख्यान है।वस्तुत: भगवान श्रीकृष्ण आत्मा हैं, आत्माकार वृत्ति राधा हैं और शेष आत्माभिमुख वृत्तियां गोपिकाएं हैं।भगवान श्रीकृष्ण के समान ही गोपिकाएं भी परम रसमयी व सच्चिदानंदमयी थीं।यदि गोपिकाएं गोपी गीत का गायन नहीं करती तो श्रीकृष्ण महारास नहीं करते।वस्तुत: गोपी गीत से ही महारास का उद्भव हुआ था।
भागवताचार्य स्वामी बलरामाचार्य महाराज ने अपनी सरस वाणी से कंस वधोपाख्यान का श्रवण भक्तों-श्रद्धालुओं को कराया।इसके उपरांत भगवान श्रीकृष्ण के विवाह की कथा सुनाकर सभी को भाव-विभोर कर दिया।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि पितृ पक्ष के उपलक्ष्य में श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ कराने से भगवान हमारे पूर्वजों (पितरों) को सद्गति प्रदान करके अपने धाम में वास देते हैं।साथ ही यह कथा श्रीधाम वृन्दावन में कराने से इसका फल शतगुणा और अधिक बढ़ जाता है।
इस अवसर पर कथा के मुख्य यजमान सुनील कपूर व मयंक कपूर (पठानकोट), प्रेमनारायण शुक्ला, पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ,आचार्य रामविलास चतुर्वेदी,व्याकरणाचार्य विष्णुदत्त त्रिपाठी,महामंडलेश्वर स्वामी कृष्णानंद महाराज, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा,आचार्य कृष्णा त्रिपाठी, जुगल किशोर अवस्थी,अमित अवस्थी,धर्मगुरु सुशील कुमार त्रिपाठी,चंदन त्रिपाठी,पूनम त्रिपाठी व कंचन त्रिपाठी के अलावा विभिन्न प्रांतों से आए असंख्य भक्त-श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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