चला चली गउंवा की ओर हो, जिया झकझोर मारे गोरिया _______
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अमेठी। हिन्दी पखवाड़ा के अन्तर्गत शुक्रवार को साधना फाउंडेशन की ओर से कवि सम्मेलन और विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कवियों और साहित्य प्रेमियों ने देश की माटी और वीरों को नमन करते हुए मातृभाषा हिंदी की समृद्धि के संदेश दिए।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि और सोलर एनर्जी कारपोरेशन लिमिटेड इंडिया की डायरेक्टर रश्मि सिंह ने नेहरू युवा केन्द्र की उपनिदेशक डॉ आराधना राज के साथ कवियों को अंगवस्त्र और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
कवि सम्मेलन का प्रारंभ वाणी वंदना के साथ हुआ। कवि सम्मेलन के मंच पर मौजूद एक मात्र कवियत्री रामकुमारी गुप्ता संसृति ने मैं हिन्दी हूं शीर्षक कविता के माध्यम से देशवासियों को मातृभाषा हिंदी के प्रति अपनापन बढ़ाने के संदेश दिए।
मैं हिन्दी हूं, हिन्दुस्तानियों की मातृभाषा हूं, फिर भी लोग मुझको पराया ही समझते हैं।कवि और भोजपुरी फिल्मों के कलाकार श्री नाथ शुक्ल ने लोकगीत -चला चली गउंवा की ओर हो, जिया झकझोर मारे गोरिया -, पंक्तियों के माध्यम से ग्रामीण जनजीवन और संस्कृति की सुंदर तस्वीर प्रस्तुत की।
आशुतोष गुप्ता ने आज की राजनीति पर करारा व्यंग करते हुए कविता पाठ किया -राजनीति नहीं अब तो ताजनीति है, दंगे फसाद की कूटनीति है । सम्प्रदायवाद और जातिवाद ही छाया है, सत्ता सुख ही अब माया है। वर्तमान राजनीति और राजनेताओं के चरित्र में बदलाव का संदेश दिया।
डा ज्ञानेंद्र पांडेय,अवधी मधुरस ने हिन्दी के गौरव और सम्मान का गुणगान किया। उन्होंने कविता पढी-भारत मां के आंचल का दुलार है हिन्दी, हिन्दी आचार है, व्यवहार है, संस्कार है हिंदी।
चंद्र प्रकाश मंजुल ने अपनी पंक्तियों के माध्यम से नारी शक्ति को प्रणाम किया,बेटी बेटा विभेद खत्म कर बेटियों को आगे बढ़ाने का संदेश दिया,-बेटवन से बिटिया नीकि अहैं,सौ सोने कै सींक अहैं। रामेश्वर सिंह निराश ने अपनी कविता के माध्यम से देश की माटी और वीरों को नमन किया ।
बेवजह न दिल केहू कै दुखावा करा,मिलिके सब केउ वतन का उठाना करा,जौन माटी के खातिर से माटी भयन , उनकी माटी का माथे लगाना करा। राजेन्द्र शुक्ल अमरेश ने कवि और कविता की परिभाषा करते हुए अवधी में काव्य पाठ किया। सुनील त्रिपाठी और साधना त्रिपाठी ने कवियों और अतिथि वक्ताओं का स्वागत सम्मान किया।
अवधी साहित्य संस्थान के अध्यक्ष डा अर्जुन पांडेय ने मातृभाषा हिंदी के साथ अवधी को भी समृद्ध करने की अपील की। कहा कि हिन्दी अंतरराष्ट्रीय भाषा बन रही है, भारत के लोगों को अंग्रेजियत से बचते हुए अपनी माटी और भाषा की समृद्धि के संदेश दिए।
वरिष्ठ पत्रकार अम्बरीष मिश्र, गुरु गोबिंद सिंह लंगर आयोजन समिति के सेवादार संजीव भारती, सचिव सदाशिव पांडेय, साहित्य प्रेमी अमर सिंह, एडवोकेट जगन्निवास मिश्र, श्रीमती त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।