मां बाप की सेवा में नहीं कोई मुहूर्त, पोंछ लो आंसू इनके तीर्थ की नहीं जरुरत
1 min readREPORT BY KAUSHAL KISHOR
AMETHI NEWS।
अवधी साहित्य संस्थान अमेठी की ओर से सरैया बड़गांव में राम वदन शुक्ल पथिक के आश्रम पर अवधी संस्कृति एवं
श्री राम चरित मानस तथा पद्मावत के महात्म्य विषय के साथ कवि गोष्ठी का शुभारंभ मान्य अतिथियों ने गोस्वामी तुलसी दास,मलिक मोहम्मद जायसी के साथ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्जन से हुआ।
साहित्य मंच एवं कवियों का स्वागत करते हुए अवधी साहित्य संस्थान के अध्यक्ष डॉ अर्जुन पाण्डेय ने कहा कि श्रीरामचरितमानस दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ एवं कलिकाल का अमृत है,जो अवध, अवधी एवं अवधी संस्कृति की पहचान है।मलिक मोहम्मद जायसी का पद्मावत न केवल अवधी का महाकाव्य वरनअमेठी की शान है। हम-सब को अवधी पर गर्व है।
कार्यक्रम के अध्यक्षता कर रहे प्रतापगढ़ जनपद से पधारे अमर नाथ बेजोड़ ने पढ़ा कि कहीं ऐसा न हो लग जाये आग पानी में , कहीं ऐसा मीत आ जाये जवानी में । डॉ अर्जुन पाण्डेय ने कहा गुरू की बगिया मा तो प्रकाश ही प्रकाश बा, प्रतापगढ़ के कवि श्रीनाथ सरस ने पढ़ा कि मां बाप की सेवा में नहीं कोई मुहुर्त , पोंछ लो आंसू इनके तीर्थ की नहीं जरुरत ।
लखनऊ से पधारे डॉ कण्व कुमार मिश्र इश्क सुल्तानपुरी ने पढ़ा कि ये ज़मीं आसमां बनाता है , इश्क अपना जहां बनाता है । रामेश्वर सिंह निराश ने पढ़ा कि जाड़ा कबो न आवै भइया , सबका बहुत सतावै भइया । चंद्र प्रकाश मंजुल ने पढ़ा कि – सी एम ओ कै बाप अही , हम डाक्टर झोलाछाप अही । राधेश्याम दीन ने पढ़ा कि -मन कै सब अंधियार भगावा से भइया , तनी हिया से दिया जरावा हे भइया ।
ओज कवि अनिरुद्ध मिश्र ने पढ़ा कि- मां बाप को जीवन में कभी दुख नहीं देना , उनकी दुआ दुआ है कोई खेल नहीं है । विवेक मणि ने पढ़ा कि- साल तू बस साल में इकबार बदले , आदमी हर दिन नया किरदार बदले । उदय राज उदय ने पढ़ा कि – गीत लिखूं ग़ज़ल लिखूं , लिखूं मैं दर्द भरी कहानी। गैरों से फुर्सत नहीं तो मेरा लिखना होगा बेमानी । सुरेश शुक्ल नवीन ने पढ़ा कि- वादे करके गये पर निभाया नहीं , फिर एक नया बहाना शुरू हो गया।
दिवस प्रताप सिंह ने पढ़ा कि- सब सदन में गरजते हैं, कहां चंबल में रहते हैं । जगदम्बा तिवारी मधुर ने पढ़ा कि -नैनो की भाषा वो क्या जाने, जो नैन छुपाकर चले गए। तेजभान सिंह ने पढ़ा कि- बदला लेने के सारे अवसर हमने यूं ठुकराये हैं।जब जीते तो हाथ मिलाए हारे तो मुस्काए हैं । पप्पू सिंह कसक ने पढ़ा कि – मुझको ही लूटकर के मुझको दान किया है । इतना गिरा नहीं हूं जितना जान लिया है । रामबदन शुक्ल पथिक ने पढ़ा कि – शिकवे गिले सब मिटाकर तो देखो , चेहरे से परदा हटाकर तो देखो ।
कार्यक्रम में रीता पाण्डेय,रामचंद्र सिंह, विजय कुमार मिश्र, प्रदीप सिंह प्रधान, सुरेश सिंह, रमेश सिंह, ललित पाण्डेय,राम अचल तिवारी, अमरनाथ यादव , सत्य प्रकाश सिंह, शिवराम पांडेय, श्रीनाथ द्विवेदी, दया शंकर शुक्ल एडवोकेट, अरुण कुमार मिश्र, डॉ अभिमन्यु पांडेय आदि संभ्रांत लोगों की उपस्थिति मौजूदगी रही।