वो लम्हा अब पागलपन सा दिखता है…….
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ना होकर भी हर पल कोई रहता है तो रहता है।
सुर्ख रंग बन तन में मेरे बहता है तो बहता है।।
सात समंदर की दूरी तो जिस्मों में हो सकती है।
रूह से रूह का खास कनेक्शन जुड़ता है जो जुड़ता है।
नजराने मुझसे सब लेकर कितनी खुश है यह दुनिया
चंदा मुझको तोह्फा तेरा लगता है तो लगता है।
मेरे कमरे के शीशे में केवल तुम ही दिखते हो,
आईना मुझसे गद्दारी करता है तो करता है।
खत के संग तस्वीरें थी पर अगले पल आँगन में राख
वो लम्हा अब पागलपन सा दिखता है तो दिखता है।
फूलों पर काँटों का पहरा कहती दुनिया ऐसा ही
पर काँटों के साए में ही वो खिलता है तो खिलता है।
कोरे कागज की वो चिट्ठी शायद तुमको याद नहीं,
जो पढ़ना चाहे मेरा मन पढ़ता है तो पढ़ता है।
मंदी, महंगाई, आबादी, कई विषय है लिखने को
पर तेरे बारे में ही दिल लिखता है तो लिखता है।
छोड़ गया तू वर्षों पहले, किस्मत को देकर के दोष
रेखाओं से अक्स तुम्हारा मिलता है तो मिलता है।
यूँ दुनियादारी में दिन भर वक्त नहीं मिलता मुझको
तकिया मेरा ख्वाब तुम्हारा बुनता है तो बुनता है।
घर, दुनिया, समाज, पति, बच्चे, जेहन को सब याद मगर
बबली के दिल में तू ही बस, बसता है तो बसता है।
बबिता कोमल- नलबाड़ी ,असम
#babitakomal