खरीफ की फसलों पर संकट,सूख रहे धान की फसलें
1 min readअर्जुन सिंह भदौरिया –
धान, पान औ केरा। ये हैं पानी के चेरा।
सूखे के चलते नहीं आए धान की फसल में कल्ले।
काशा फूलने लगा, भादौ माह व मघा नक्षत्र भी बीता।
बरसात की आशा क्षीण हो गई।किसान हुए निराश।
मानसून की विदाई की बेला आ गई है।बरसात के महीनों में बरसात का अंतिम माह भादौ बीत चुका है। और बरसात में सर्वाधिक बरसने वाला नक्षत्र मघा भी बीत चुका है। काशा, गाडर में फूल आ चुके हैं जो मानसून की विदाई के प्रमुख लक्षण माने जाते हैं।कहावत है कि “धान पान औ केरा। ई तीनो पानी के चेरा” लेकिन जब इन फसलों को पानी का सुख ही नहीं मिला तो निश्चित ही इनकी उपज पर बुरा असर पड़ेगा।
इस वर्ष सामान्य से 60 फीसदी कम यानी कुल 40 फीसदी ही बारिश हुई है। ऐसे में सूखे के हालात बन गए हैं। कम बारिश के कारण खरीफ की फसलों पर संकट है। उधर, मौसम की बेरुखी को देखते हुए कृषि विभाग भी अलर्ट हो गया है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को मौसम के अनुसार खेती करने का सुझाव दिया गया है। हालांकि आंकड़ों को देखें तो पिछले वर्ष बारिश की स्थिति बीते 10 वर्षों में सबसे अधिक रही थी।
वर्तमान में बारिश न होने से सूखा का असर खरीफ की खेती पर काफी तेज पड़ा है। अधिकांश इलाकों में किसानों ने धान की रोपाई भी कम की है। करीब दो माह पहले दो दिन जोरदार बारिश हुई थी। इसके अलावा, बीते माह रुक-रुक बारिश होती रही। इसी बीच किसानों ने खरीफ के फसलों की बोआई इस उम्मीद के साथ की कि बारिश के बाद फसलें ठीक होंगी लेकिन बारिश की दगाबाजी के कारण जिन खेतों में बोआई हुई थी, वह फसलें भी तेज धूप और गर्मी के कारण कई बार तेज धूप और कई दिनों तक बरसात न होने के चलते सूखे का झटका खा चुकी हैं ऐसे में फसल में कल्ले भी नहीं आए हैं।सूखे के चलते फसलों में खर पतवार की भी बाढ़ आ गई है।खर पतवार नाशी रशायनों के प्रयोग का भी सूखे के चलते फसलों पर बुरा असर देखा जा रहा है निराई कराना भी बहुत मंहगा सौदा साबित हो रहा है। इस वर्ष जनवरी से मई तक भी नाम मात्र की बारिश हुई है और जून से लेकर अब तक मात्र 173.80 मिमी बारिश हुई है। जबकि सामान्य वर्षा 481.3 मिमी है। कृषि विशेषज्ञों की माने तो सामान्य से 60 फीसदी कम बारिश हुई है। ऐसे में किसानों को परंपरागत खेती के पैटर्न में बदलाव करना होगा। बताया कि किसान तोरिया की फसल की बोआई कर सकते हैं। इसमें केवल एक बार सिंचाई की जरूरत होगी। इसके बाद किसान गेहूं की भी बोआई कर सकते हैं। बारिश बहुत कम होने से सूखे के हालात को देखते हुए कृषि विभाग ने भी शासन को रिपोर्ट भेजी है। इसमें बताया गया है कि बारिश काफी कम होने के कारण जिले में खरीफ के 20 फीसदी रकबे में आच्छादन नहीं हो सका है। इसके अलावा, जो फसलें खेतों में हैं वह भी बारिश के अभाव में प्रभावित हो रही हैं। अब देखना सरकार इस पर क्या निर्णय है। किसानों की उम्मीद है कि सरकार किसान के नुकसान का आकलन अवश्य करेगी I