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संत समाज के गौरव थे संत सुदामा दास महाराज : देवकीनंदन ठाकुरजी

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वृन्दावन।वंशीवट क्षेत्र स्थित श्रीनाभापीठ सुदामा कुटी में श्रीरामानंदीय वैष्णव सेवा ट्रस्ट के द्वारा श्रीमज्जगद्गुरु द्वाराचार्य श्रीनाभापीठाधीश्वर स्वामी सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज के सानिध्य में चल रहे अनन्तश्री विभूषित जगद्गुरु स्वामी श्रीरामानंदाचार्य महाराज के दस दिवसीय जयंती महामहोत्सव के अन्तर्गत श्रीनाभापीठ सुदामा कुटी के संस्थापक संत सुदामा दास महाराज का पावन स्मरण किया गया।

इस अवसर पर आयोजित संत-विद्वत गोष्ठी में अपने भाव व्यक्त करते हुए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भागवत प्रवक्ता पंडित देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने कहा कि साकेतवासी सुदामादास महाराज संत समाज के गौरव थे।उनकी संत सेवा, विप्र सेवा, गौ सेवा एवं निर्धन-निराश्रित सेवा आदि में अपार निष्ठा थी। इसी सब के चलते उन्होंने अपना समूचा जीवन व्यतीत किया।

आचार्य पीठाधीश्वर भागवत भूषण यदुनंदनाचार्य महाराज एवं भागवत के प्रकांड विद्वान व्यासनन्दन महाराज ने कहा कि संत शिरोमणि साकेतवासी सुदामादास महाराज सहजता, सरलता, उदारता, परोपकारिता एवं त्याग की प्रतिमूर्ति थे।उन जैसी पुण्यात्माओं का तो अब युग ही समाप्त होता चला जा रहा है।
प्राचार्य डॉ. रामकृपालु त्रिपाठी एवं ब्रजबिहारी दास भक्तमाली महाराज ने कहा कि संत प्रवर सुदामादास महाराज परम भजनानंदी, विरक्त, निस्पृह एवं समन्वयवादी संत थे।सभी संप्रदायों के संत व महंत उन्हें आदर और सम्मान देते थे।

ये उन्ही के भजन का प्रताप है, कि आज सुदामा कुटी आश्रम की शाखाएं देश की कोने-कोने में स्थापित हैं।
इस अवसर पर महोत्सव के समन्वयक डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, संयोजक श्रीमहंत अमरदास महाराज, श्रीमहंत राघव लदास महाराज, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा,भरत शर्मा, मोहन शर्मा, नंदकिशोर अग्रवाल, अवनीश शास्त्री, सौमित्र दास, डॉ. अनूप शर्मा, भक्तिमती वृंदावनी शर्मा, पंडित रसिक शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन संत रामसंजीवन दास शास्त्री ने किया।
दोपहर को मथुरा के प्रख्यात श्रीसिद्ध विनायक रामलीला संस्थान के द्वारा स्वामी आनंद चतुर्वेदी के निर्देशन में रामलीला का एवं रात्रि को प्रख्यात रासाचार्य स्वामी श्रीचंद्र शर्मा की रासमंडली के द्वारा रासलीला का अत्यंत मनोहारी मंचन हुआ।

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