“था भरोसा फिर मिलोगे” का हुआ भव्य लोकार्पण
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वाराणसी I अमेठी जनपद के मूल निवासी डॉ. शरद श्रीवास्तव की “स्याही प्रकाशन वाराणसी” से प्रकाशित साहित्यिक पुस्तक “था भरोसा फिर मिलोगे” का लोकार्पण समारोह राजकीय जिला पुस्तकालय में वरिष्ठ साहित्यकार एवम् जिला पुस्तकालयाध्यक्ष कंचन सिंह परिहार के स्वागत एवं संयोजन में काशी की साहित्यिक विभूतियों की गरिमामय उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के पूजन गीत से हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार एवम अपर आयुक्त वाराणसी विश्व भूषण मिश्र ने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में इतनी भीड़ हो गई है कि साहित्य कार ज्यादा और पाठकों की संख्या कम हो गई है। सारस्वत अतिथि संयुक्त शिक्षा निदेशक डॉ प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि हमारे डा शरद श्रीवास्तव हमारे विभाग के गौरव हैं, निश्चित ही आने वाला समय इनके लिए काफी प्रसन्नता दायक है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ साहित्यकार डा जितेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि काव्य रूपी पुस्तक का उदय है। इस प्रथम पुस्तक का बाल स्वरूप ही है। इसका लालन पालन एक बच्चे की तरह होना चाहिए। साहित्यकार हीरा लाल मिश्र मधुकर ने कहा कि इनकी गीतों में छंदो का समावेश है। इस परम्परा का पुस्तक था भरोसा फिर मिलोगे में निर्वाह किया है।
पूर्व न्यायाधीश एवं साहित्यकर डा चंद्रभाल सुकुमार ने कहा कि डा शरद ने गीतों में परंपरा को आगे प्रशस्त करने का कार्य किया है।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल साहित्य शोध संस्थान की अध्यक्ष व कथाकार डा मुक्ता ने संबोधित करते हुए कहा कि पुस्तक में कवि निराला की अनुभुति दिखाई देती है। साहित्य जगत को इनसे बहुत ही अपेक्षाएं है।श्रेष्ठ समीक्षक डा राम सुधार सिंह ने विषय स्थापना करते हुए कहा कि गीत में सतत अभ्यास की आवश्कता होती है। यूपी कॉलेज की साहित्यिक परंपरा को शरद आगे बढ़ा रहे है इनमे आपार संभावनाएं है।
साहित्यकार अशोक सिंह ने कहा कि डा शरद में साहित्य को लेकर अपार सजकता है। पुस्तक के सम्बंध में रचनाकार डा शरद श्रीवास्तव “शरद” ने कहा कि यह पुस्तक जीवन के विविध आयामों को अपने भीतर समेटे होने के कारण सुधि पाठको के मध्य काफी लोकप्रिय होगी। पुस्तक में प्रयुक्त बिम्बों, प्रतीकों, उपमानों के साथ-साथ जीवन के सरोकारों को लेकर पुस्तक की प्रासंगिकता स्वत: सिद्ध होगी।
स्याही प्रकाशन के प्रकाशक एवम संपादक छतिश द्विवेदी कुंठित जी का आभार है। प्रथम सत्र के कार्यक्रम का संचालन राजकीय जिला पुस्तकालय अध्यक्ष केएस परिहार ने किया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में आयोजित कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार पूर्व डीडीओ डा डीआर विश्वकर्मा ने कहा कि वाणी एवं शब्द की सात्विक साधना की जाय तो शब्द ही ब्रह्म है।
कवि सम्मेलन को गौतम अरोड़ा,सुनील सेठ क्षितिज श्रीवास्तव,विनय श्रीवास्तव,विनोद वर्मा,रजनीकांत त्रिपाठी संतोष सिंह विजय चंद्र त्रिपाठी, संतोष मीत,ने अपने अपने गीतो से लोगो को रसास्वादन कराया। कार्यक्रम का संचालन प्रसन्न बदन चतुर्वेदी अनघ एवं संतोष कुमार प्रीत के द्वारा संचालित किया गया।
लोकार्पण कार्यक्रम में सहारा जीवन सम्पादक सन्तोष कुमार श्रीवास्तव साहित्य जगत के भोला नाथ त्रिपाठी विह्वल,संतोष कुमार प्रीत, प्रसन्न वदन चतुर्वेदी अनघ,कंचन लता चतुर्वेदी,डॉ. एकता गुप्ता, कमलनयन मधुकर, देवेंद्र पांडेय,प्रभाष झा,रजनीकांत त्रिपाठी, सुनील सेठ एखलाक भारतीय, आलोक बेताब, डॉ.नसीमा निशा, करुणा सिंह, महेंद्र तिवारी अलंकार ,सिद्धनाथ शर्मा,विकास विदीप्त, भुलक्कड़ बनारसी, जयप्रकाश मिश्र धानापुरी, टीकाराम शर्मा आचार्य,परमहंस तिवारी परम,सीताराम अनजान खालिद राही,अनुराग पाण्डेय, आशिक बनारसी राही भाई,शमीम गाजीपुरी,सुरेंद्र बाजपेई, डॉ. पुष्पा सिंह,धर्मेंद्र गुप्त साहिल,रामचंद्र मिश्रा, विजय चंद्र त्रिपाठी,ओम प्रकाश सहित काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।