Modi’s Visit to Singapore : भारत-सिंगापुर वार्ता: आतंकवाद पर साझा मोर्चा और विकास की नई साझेदारी
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विशेष रिपोर्ट रवि नाथ दीक्षित
नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वांग के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई। यह मुलाकात केवल कूटनीतिक औपचारिकता तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसमें सुरक्षा, विज्ञान, कौशल और डिजिटल नवाचार जैसे क्षेत्रों में गहन सहयोग का नया मार्ग प्रशस्त हुआ।
प्रधानमंत्री मोदी ने वार्ता के दौरान कहा कि आतंकवाद आज पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है और इसके खिलाफ लड़ाई में सभी राष्ट्रों का एकजुट होना आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद केवल किसी एक देश की समस्या नहीं बल्कि वैश्विक स्थिरता और मानवता के लिए चुनौती है।
सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वांग ने भी इस विचार से सहमति जताते हुए कहा कि सीमाओं से परे जाकर अंतरराष्ट्रीय सहयोग ही आतंकवाद से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका है। यह साझा दृष्टिकोण भविष्य में सुरक्षा और खुफिया जानकारी साझा करने को और मजबूत करेगा।
इस वार्ता के दौरान भारत और सिंगापुर के बीच पाँच अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इनमें नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में हवाई संपर्क को आसान और तेज बनाने का समझौता, अंतरिक्ष विज्ञान में संयुक्त अनुसंधान और मिशन सहयोग, कौशल विकास में युवाओं को आधुनिक प्रशिक्षण और रोजगार अवसर उपलब्ध कराने की योजना, डिजिटल परिसंपत्ति नवाचार में ब्लॉकचेन और फिनटेक तकनीकों को बढ़ावा देने का समझौता, और सामाजिक-आर्थिक विकास से जुड़े पहलुओं पर सहयोग शामिल हैं।
इन समझौतों से यह स्पष्ट है कि भारत और सिंगापुर केवल व्यापारिक साझेदार ही नहीं बल्कि रणनीतिक सहयोगी की भूमिका भी निभा रहे हैं। नागरिक उड्डयन से लेकर डिजिटल नवाचार तक, यह सहयोग एशिया में एक नई आर्थिक और तकनीकी धारा को जन्म देगा। वहीं, कौशल विकास के क्षेत्र में सिंगापुर की विशेषज्ञता और भारत की युवा शक्ति मिलकर रोजगार और विकास की अपार संभावनाएं पैदा करेंगी।
कुल मिलाकर, यह वार्ता इस बात का प्रमाण है कि भारत और सिंगापुर अपने रिश्तों को भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप ढाल रहे हैं। आतंकवाद के खिलाफ साझा मोर्चा और विकास को नई दिशा देने वाले समझौते न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरे एशियाई क्षेत्र के लिए स्थिरता और प्रगति की मजबूत नींव साबित होंगे।

