आत्मा नित्य है, जिसका कोई वध नहीं कर सकता-स्वामी अभेदानंद जी
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लखनऊ I
चिन्मय मिशन लखनऊ के तत्त्वावधान में आयोजित षड दिवसीय गीता ज्ञान यज्ञ के पांचवे दिन अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान में प्रवचन करते हुए पूज्य स्वामी अभेदानंद जी, आचार्य चिन्मय मिशन साउथ अफ्रीका ने कहा कि आत्मा नित्य है, जिसका कोई वध नहीं कर सकता अत: अर्जुन तुम किसी को मारोगे या वे तुम्हें मारेंगे इसका शोक मत करना।
इस संसार में कुछ भी शोक करने योग्य नहीं है। एक व्यक्ति महात्मा के पास गया बोला सिर में दर्द है महात्मा ने एक थप्पड़ मारा और कहा हाथ पैर पेट दांत में कहीं और दर्द है? तुम्हारा द्वारा ध्यान केवल सिरदर्द में है। यही स्थिति जीव की है उसका सारा ध्यान अभाव में ही रहता है। हरि कृपा से उसे कितनी अनुकूलता है कितनी सुविधा है उसका भान नहीं रहता है। जिस चीज में हमारी महत्वबुद्धि अधिक है वही हमारे दुःख का हेतु बनता है।
कर्मयोग में हमारा व्यक्ति वस्तु परिस्थिति का आग्रह शिथिल हो जाता है। यदि हम शरीर से कुछ कष्ट पाएँ तो बाहरी परिस्थिति है। परंतु उस स्थिति में हमारा मन अच्छा हो तो उस वाह्य कष्टकारी परिस्थिति का भी लाभ उठाकर जप ध्यान स्वाध्याय कर सकते हैं। यह है परिस्थिति में मनःस्थित का सकारात्मक होना।
चौबीस घंटे हम कामी क्रोधी, लोभी नहीं रह सकते परंतु सद्गुण प्रचुर मात्रा में है। हम चौबीस घण्टे शांत रह सकते हैं प्रसन्न रह सकते हैं और आनन्द में रह सकते हैं। ये हमारा, नैसर्गिक स्वभाव है। राग से वैराग्य का आनंद अधिक है। राग में बंधन हूँ वैराग्य में स्वतंत्रता है।
आज कार्यक्रम के आरम्भ में श्री श्री आनंद धाम, विकासनगर से गुरु माता पूज्या पुष्प मिश्रा का किरण मेहता ने माल्यार्पण कर अभिनंदन किया। इस अवसर पर पूज्य ब्रहमचारी कौशिक चैतन्य, नीलम बजाज, कुल भूषण द्विवेदी, डा. तुषार अरोड़ा, प्रतिभा त्रिपाठी, डॉक्टर आर एस त्रिपाठी, मीना दीक्षित, रमेश मेहता, मालवीय, विनीत तिवारी आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। २ मई से प्रारंभ ये गीता ज्ञान यज्ञ कल ७ मई को पूर्ण होगा।