धीरेन्द्र प्रताप सिंह को मिला उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान
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अमेठी I
धीरेंद्र प्रताप सिंह- प्रधानाध्यापक कंपोजिट विद्यालय भेेलाई कला, तिलोई अमेठी एवं जिलाध्यक्ष उत्तर प्रदेश के प्राथमिक शिक्षक संघ अमेठी को 5 सितंबर के शुभ अवसर पर संगीता सिंह जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक के रूप में चयनित कर कलेक्ट्रेट गौरीगंज में आयोजित सम्मान समारोह में जिलाधिकारी राकेश मिश्र एवं राजेश अग्रहरि जिला पंचायत अध्यक्ष द्वारा प्रशस्ति पत्र व अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। उनके पुरस्कार में चयन होने पर शिक्षकों में हर्ष की लहर दौड़ गई, शिक्षकों के मुंह से निकला देर से ही सही पात्र व सुयोग्य शिक्षक को मिला उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान। धीरेंद्र प्रताप सिंह की प्रथम नियुक्ति 02 नवम्बर 1991को प्राथमिक विद्यालय कमई में अप्रशिक्षित अध्यापक के पद पर हुई थी, तब से लेकर आज तक विद्यालय समय से पहुंचना, बच्चों को खेल कूद व व्यायाम कराना,और गुणवत्ता परक शिक्षा देना उनका मुख्य कार्य रहा है।रायबरेली व अमेठी दो दो जनपदों में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष पदों का दायित्व निभाते हुए भी विद्यालय की शिक्षण व्यवस्था का भी पूर्ण रूप से निर्वहन करते हैं। 02 नवम्बर 1991 से 02 सितंबर 2003 तक 12 साल प्राथमिक विद्यालय – कमई में,03 सितंबर 2003 से 15 दिसंबर 2010 तक प्राथमिक विद्यालय तिलोई (प्रथम)में 07 साल, एवं 16 दिसंबर 2010 से अद्यतन कंपोजिट विद्यालय भेेलाई कला, तिलोई – अमेठी में कार्यरत हैं ।तब यह कंपोजिट विद्यालय प्राथमिक विद्यालय भेलाई खुर्द था। कार्यभार ग्रहण करने के समय मात्र 4 कक्षा- कक्ष थे, विद्यालय में इतना उसर था कि ग्राउंड में घांस तक नही थी,और न ही एक पेड़ था। धीरेन्द्र प्रताप सिंह ने विद्यालय की दीन हीन दशा को देखकर मन में एक संकल्प लिया कि इस विद्यालय को भी अग्रणी विद्यालयों की श्रेणी में लाना है, धीरेन्द्र प्रताप सिंह के अथक प्रयास से यह संकल्प धीरे धीरे पुष्पित पल्लवित हुआ और उन्ही के अथक से प्रयास से उच्च प्राथमिक विद्यालय भवन, आंगनबाड़ी भवन, चहार दीवारी,एवं 4 अतिरिक्त कक्षों का निर्माण हुआ,जिसे स्वयं बनवाया,वर्तमान में विद्यालय में 12 कक्षा कक्ष है।विद्यालय में छात्रों की संख्या जहां 85 या 90 के आस पास रहा करती थी,वहीं अब 172 बच्चे प्राथमिक में व 103 बच्चे उच्च प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं । कंपोजिट विद्यालय होने के पश्चात 275 बच्चे नामांकित हैं।
धीरेन्द्र प्रताप सिंह ने विद्यालय स्टाफ के अमूल्य सहयोग से छायादार, फलदार व शोभादर वृक्ष एवं तरह तरह के फूलों के वृक्ष लगाकर विद्यालय प्रांगण को बहुत ही सुन्दर बनाया है। संपूर्ण विद्यालय को सुसज्जित करके बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का काम किया। उन्होंने अपने सम्मान का श्रेय अपने पूज्य माता पिता को दिया जिनके आदर्शों पर चलकर यह सम्मान मिला।अपने बड़े भाई राजेंद्र बहादुर सिंह पूर्व प्राचार्य एवं जिला पंचायत सदस्य को दिया I जिनसे समय पालन और अनुशासन सीखने का अवसर प्राप्त हुआ, जिनके आशीर्वाद से यह सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसके बाद अपनी धर्मपत्नी रंजू सिंह को भी इसका श्रेय दिया जिन्होंने प्रत्येक कार्य में कदम- कदम पर पूर्ण सहयोग प्रदान किया। उन्होंने अपना सम्मान विद्यालय के समस्त स्टाफ अमिता जायसवाल, रजिया बानो, शशि कुमारी सिंह, प्राची श्रीवास्तव, सरिता सिंह, पल्लवी श्रीवास्तव, सुचित्रा सती, एवं प्रभावती को दिया जिनके सहयोग व परिश्रम से विद्यालय जनपद में शैक्षिक गतिविधियों में अग्रणी विद्यालयों में शुमार किया जाता है। सम्मान का श्रेय उन्होंने सम्मानित ग्राम प्रधान ताज बानो पत्नी मोहम्मद अशरफ को भी दिया जिन्होंने विद्यालय को अग्रणी बनाने में धीरेंद्र प्रताप सिंह का पूरा साथ दिया विद्यालय को आदर्श पुस्तकालय,8 सीसीटीवी कैमरा, 8 झूले, 8 पार्किंग कुर्सी,विशाल सांस्कृतिक मंच ,बच्चों को मध्यान्ह भोजन हेतु सेड और समस्त कमरों में टाइली करण एवं परिसर में चारों तरफ इंटरलॉकिंग लगाने का काम किया। उन्होंने अपने सम्मान का श्रेय उन सभी गुरुजनों और अपने सहयोगी मित्रों व शिक्षकों को भी दिया जिन्होंने समय-समय पर एक प्रेरक बनकर हमारा सहयोग किया। धीरेन्द्र प्रताप सिंह,जिस जिस भी विद्यालय में रहे, अपनी अमिट छाप छोड़ी, विद्यालयों में लगे हुए शिला लेख इसके गवाह हैं। उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार सुन्दर और बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करेगा।आज धीरेन्द्र प्रताप सिंह, जनपद के शिक्षकों के प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।