आर्थिक और आध्यात्मिक प्रगति की डोर है केला रेशा – अंकित पासी
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अमेठी।
“सनातन संस्कृति में केले का बहुत अधिक महत्व है, इसे देव गुरु बृहस्पति का प्रतीक आदि काल से माना जाता रहा है।आज यह आर्थिक प्रगति का आधार भी बन गया है” यह उद्गार सिंहपुर के ब्लाक प्रमुख अंकित पासी ने नाबार्ड के सौजन्य से नब्बे महिलाओं को “आजीविका एवं उद्यम विकास कार्यक्रम”(LEDP) परियोजना के अन्तर्गत केला रेशा निष्कर्षण और उससे निर्मित उत्पाद विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए व्यक्त किए।
सिंहपुर विकास खण्ड परिसर मे आज पूर्वान्ह 11 बजे शुरू हुए प्रशिक्षण के शुभारंभ सत्र मे डी डी एम नाबार्ड अभिनव द्विवेदी ने कहा कि पौराणिक काल से ही केले का हमारे जीवन मे बहुत महत्व रहा है केले के पौधे को देव गुरु बृहस्पति के रूप मे मान्यता है इसके साथ ही केला स्वस्थ और समृध्दि जीवन के लिए भगवान विष्णू और देवी लक्ष्मी को अर्पित किया गया फल है I
अभिनव द्विवेदी ने कहा कि इस प्रशिक्षण मे महिलाओं को केले के रेशे से चटाई,पूजा की आसनी ,योग की चटाई ,झोला ,फ़ाईल फ़ोल्डर,घर के अन्दर पहनी जाने वली चप्पल तथा अन्य बहुत सारे दैनिक जीवन मे उपयोगो समान बनवाये जाएँगे तथा इसकी मार्केटिंग मे भी नाबार्ड सहयोग करेगा I
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उपायुक्त एन आर एल एम सूनील तिवारी ने कहा कि यह बहुत ही अनोखा प्रशिक्षण है पूर्वांचल मे यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है जिसमे किसान का तनाव भी कम होगा और उसे लाभ भी होगा केला पकने के बाद उसका तना बेकार समझकर किसान उसे सड़क के किनारे फेंक देता है I
लेकिन अब उसे इस परेशानी से उसे निजात मिल रही है घर की महिलाए रेशे से सामान बनाएंगी और उससे मुनाफा भी प्राप्त होगा कार्यक्रम समन्वयक ने कहा कि इस प्रशिक्षण मे तीस तीस महिलाओं का तीन बैच होगा जिनको पंद्रह-पंद्रह दिन का (कुल 45) का प्रशिक्षण दिया जाएगा I
कार्यक्रम को ए डी ओ आई एस बी चंद्र भान सिंह,बी एम एम भूपेन्द्र सिंह तथा डॉ भूपेन्द्र सिंह ने भी सम्बोधित किया कार्यक्रम मे समूह की चंद्र कला ,राज कुमारी ,रामवती,आरती सहित सभी नब्बे महिलाएं उपास्थित रही।