“जो गलती हमने की वह आप न करें और साल में एक बार दवा जरूर खाएं”
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लखनऊ I
फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत चलाये जा रहे सर्वजन दवा सेवन अभियान (आईडीएराउंड) में फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्य सहायक साबित हो रहे हैं | फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाने के लिए घर पहुँचने वाली आशा कार्यकर्ता से जो लोग दवा नहीं खा रहे, उनको नेटवर्क के सदस्य बता रहे-“जो गलती हमने की वह आप न करें|” फाइलेरिया का कोई इलाज नहीं है, इसलिए बचाव में ही समझदारी है | इससे बचाव तभी हो सकता है जब आईडीए राउंड के दौरान सभी लोग दवा खाएंगे और मच्छरों से बचाव का पूरा प्रबंध करेंगे |
जनपद के धनुआसांड, कठवारा, भदेसुआ, मदारीपुर, नगुआमऊ कला सहित कईगांवों में फ़ाइलेरिया नेटवर्क के सदस्य जनसमुदाय को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करवाने में आशा कार्यकर्ता की मदद कर रहे हैं | वह उन लोगों को भी दवा खाने के लिए तैयार कर रहे हैं जो दवा खाने से मना कर रहे हैं |
ऐसा ही वाकया बक्शी का तालाब ब्लॉक के नगुआमऊ कला गाँव मे हुआ | मीनू के घर जब आशा कार्यकर्ता दवा खिलाने पहुँचीं तो उन्होंने मना कर दिया और कहा कि उनको कोई दिक्कत नहीं है तो वह दवा क्यों खाएं | आशा कार्यकर्ता विमाल देवी बताती हैं कि ऐसे में मुझे लगा कि कहीं मीनू के मना करने के बाद आस-पास के लोग भी दवा का सेवन करने से मना न कर दें |
यह सोचकर फाइलेरिया नेटवर्क की सदस्य सावित्री को लेकर उनके घर गई | सावित्री ने बहुत अच्छे तरीके से उन्हें बताया कि फाइलेरिया होने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है | इसके बाद जीवन बहुत कठिन हो जाता है |
हमने दवा नहीं खाई तो मुझे हो गया और मेरा जीवन दुखदायी बन गया | मैं नहीं चाहती कि किसी और को भी यह बीमारी हो | मेरी बात मानो और दवा खाओ | कहीं ऐसा न हो कि जैसे मैंने अपना जीवन जिया है वैसा तुम भी जियो और यह कहकर उन्होंने अपना फाइलेरिया प्रभावित अंग दिखाया | इन सब बातों ने मीनू को प्रभावित किया और उसने दवा का सेवन कर लिया |
बक्शी का तालाब ब्लॉक की मदारीपुर निवासी कुंती देवी ने यह कहकर दवा खाने से मना कर दिया कि इतनी दवाएं एक साथ खाने से वह बीमार न हो जाएं | आशा कार्यकर्ता कान्ति देवी की बात न मानने पर वह फाइलेरिया रोगी नेटवर्क की सदस्य मनोरमा की मदद से उन्हें दवा खिलाई | मनोरमा ने उन्हें समझाते हुए कहा कि दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से पीड़ित को छोड़कर सभी को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करना है |
ऐसा ही एक और वाकया मोहनलालगंज ब्लॉक के धनुआसांड गाँव में हुई, जहां पर आशा कार्यकर्ता सुभाषिनी फाइलेरिया रोगी नेटवर्क के सदस्य बल्लू चौरसिया के साथ ईंट भट्टे पर काम करने वालों को दवा खिलाने गई जहां पर 35 लोग थे जिसमें से तीन लोगों ने दवा खाने से मना कर दिया और आशा को वापस जाने के लिए कहा | तब बल्लू ने आगे आते हुए कहा कि दवा जरूर खाइए |
मेरे समय में दवा नहीं थी तो हम नहीं खा पाए और हमें फाइलेरिया हो गया | इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है | दवा खाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है | इसके बाद उन तीन लोगों ने दवा खाई |
आशा कार्यकर्ता ने बताया कि वैसे तो फ़ाईलेरिया रोगी नेटवर्क के सदस्य हमारे साथ दवा खिलाने घर-घर जा रहे हैं और किसी तरह की समस्या होने पर हमारा सहयोग भी करते हैं |
जिला मलेरिया अधिकारी डा. रितु श्रीवास्तव का कहना है कि आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करवा रही हैं |
कहीं-कहीं पर लोगों द्वारा दवा का सेवन करने से मना करने पर फाइलेरिया रोगी नेटवर्क के सदस्य महत्वपूर्ण भूमिका निभारहे हैं | लोग नेटवर्क के सदस्यों की बात मान रहे हैं क्योंकि वह कितने वर्षों से उनको इस बीमारी के साथ लड़ते हुए देख रहे हैं और जब वह दवा खाने के लिए कहते हैं तो लोग उनकी बात को समझते हैं और उन पर अपनी सहमति जताते हैं |