मिले यदि प्रेम का प्याला,जहर भी जाम होता है….
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अमेठी।
मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर सिंहपुर ब्लाक क्षेत्र के संत पथिक इंटर कालेज महेशपुर में वेद और गीता पर व्याख्यान माला एवम अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। वेद और गीता पर व्याख्यान माला प्रस्तुत करते हुए रायबरेली से पधारे विद्वान डा0 शिवाकांत शुक्ल, वाराणसी से पधारे विद्वान डा0 विनय व्यास जी महाराज एवम शिवाकांत त्रिपाठी शास्त्री ने अपने विचार प्रकट किए।
वेद और गीता पर व्याख्यान माला के उपरांत अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में दूर दराज से आए कवियों ने अपनी कविता से मौजूद श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की वाणी वंदना से हुआ। शिवकिशोर तिवारी खंजन ने मां सरस्वती की वंदना करके कार्यक्रम का श्रीगणेश किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी गोपी बाजपेई एवम कार्यक्रम का संचालन नीरज पांडेय ने किया।
कविता पाठ का शुभारंभ करते हुए सेमरौता से आए कवि जितेंद्र मिश्र यायावर ने ओज की कविता सुनाते हुए कहा कि –
मेरे वीरों ने जब भी, केसरिया बाना पहन लिया।
बहुतेरे आक्रांता आए,हम उनको भागा दिया।
शांति विश्व में बने,चाहते शांतिमयी हो धरा गगन।
सेनाओं को खुली छूट दो,सीमाओं पर करें हवन।
रायबरेली से आए हास्य के कवि मधुपश्रीवास्तव
“नरकंकाल”ने अपनी कविता कुछ इस तरह सुनाई –
न पंडित हो न पासी हो।
बस अजर अमर अविनाशी हो।
सत्कर्मों से मुक्ति मिलेगी।
काबा हो या काशी हो।
बाराबंकी से पधारे ओज के कवि शिवकिशोर तिवारी खंजन ने अपनी कविता सुनाते हुए कहा कि –
मिले यदि प्रेम का प्याला,जहर भी जाम होता है।
हृदय जो प्रेम में डूबा,वो प्रभु का धाम होता है।
है जिनका कार्य उत्तम,उत्तम है घराना भी।
वहीं दशरथ का बेटा बनके,पैदा राम होता है।
अमेठी से आए वीर रस के कवि रामकिशोर सिंह “किशोर”ने नेताओं पर व्यंग्य कसते हुए कहा कि -अब तो सफेदी में है भलमनसाहत कहां।
गुंडई सफेदी वाली मन को न भाती है।
कब कहां डंक मार दे कोई भरोसा नहीं।
इसमें भी खाकी जैसी घिन हमें आती है।
रायबरेली से आए हास्य कवि जमुना प्रसाद “अबोध” ने अपनी कविता सुनाते हुए कहा कि – “कन्यादान करै मा जैसे सोन जरूरी है” खूब तालियां बटोरी।
अमेठी से आए साहित्यिक कवि राजेंद्र प्रसाद शुक्ल “अमरेश”ने अपनी कविता कुछ इस तरह सुनाई –
धर्म ध्वज को उठा भक्ति दरसाइए।
कर्म फल ये नही ध्यान को लाइए। लाज “अमरेश” लुटती अगर हो कहीं।द्रौपदी के लिए कृष्ण बन जाइए।
इस मौके पर परमानंद मिश्र,देवेंद्र शुक्ल,अनिल सोनी,विवेक त्रिपाठी,अनिल पांडेय,विनय शुक्ल,कुलदीप मिश्र,देवी दयाल बाजपेई,अमरेश तिवारी,सूर्यमणि ओझा समेत तमाम श्रोता मौजूद रहे।कार्यक्रम के आयोजक श्रीकांत त्रिपाठी ने सबका आभार प्रकट किया है।