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हार्टफेल की समस्या से मिलेगी निजात, दिलों में धड़केगा का कृत्रिम दिल

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देश में दिल के मरीजों के लिए साल का अंत खुशखबरी लेकर आया है I अब दिल के मरीजों में दिल की समस्या होने पर उन्हें कृत्रिम लगाया जा सकेगा I यह जानकारी उत्तर प्रदेश के आईआईटी कानपुर और देश के चुनिंदा कार्डियोलॉजिस्ट की टीम ने करके दिखाया है I उन्होंने ना सिर्फ कृत्रिम दिल बनाया बल्कि दुनिया में सबसे सस्ता कृत्रिम दिल तैयार किया है I मई 2023 में इसका एनीमल ट्रायल होगा I उसके ठीक वर्षों बाद मनुष्य पर क्लीनिकल शुरू किया जायेगा I अगर यह प्रक्रिया सफल रही तो 2025 में यह हृदयंत्र ट्रांसप्लांट के लिए उपलब्ध होगा I उसकी अधिकतम कीमत 10 लाख से अधिक नहीं होगी I इस क्षेत्र में इससे पहले अमेरिका में मात्र दो कंपनियां ही कृत्रिम दिल बना रहे थे जिसकी कीमत डेढ़ करोड़ है I
रिसर्च टीम के सदस्य एवं आईआईटी के वैज्ञानिक मनदीप ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती मैग्लेव ड्राइव बनाने की थी जो कृत्रिम हृदय का सबसे महंगा हिस्सा है इसे अमेरिका के लिए स्विच कंपनी बनाती है I जिसकी कीमत 80 लाख रुपए हैं I जबकि हमारे रिसर्च टीम ने इसे बहुत कम कीमत में तैयार कर लिया है I संपूर्ण डिवाइस को हमने हृदयंत्र नाम दिया है I इसकी तकनीक विकसित हो गई है I अप्रैल तक इसे डिवाइस का रूप देकर मई में एनीमल ट्रायल करेंगे I यह ट्रायल गाय भैंस और विदेशी सुअर पर होगा I इसके बाद मानव ट्रायल होगा I इसके बाद आईआईटी का यह कृत्रिम दिल निर्मित मिलेगी लोगों के दिलों में लगाया जाने लगेगा I

5 वर्ष पूर्व अमेरिका ने बनाया था कृत्रिम दिल
पहली बार कृत्रिम दिल अमेरिका ने 5 वर्ष पहले 2017 में बनाया था इस दिल की कार्य करने की अवधि 2 माह से 6 माह तक थी बाद में इसमें और प्रोग्रेस करते हुए 2019 में लांच किया जोकि 2 साल तक प्रभावी रहता हाय जबकि आईआईटी में बन रहे इस हृदयंत्र में होमोलिसिस यानी आरबीसी डैमेज की समस्या नहीं होगी, जबकि वर्तमान के कृत्रिम दिल में बड़ी समस्या है I

वायरलेस कृत्रिम दिल बनाने का लक्ष्य
आईआईटी में बन रहे हृदयंत्र में कुछ वायरो का इस्तेमाल किया गया है I और सिस्टम के वैज्ञानिकों का कहना है कि अब हमारा अगला लक्ष्य बिना वायर के हृदयंत्र बनाने का है I इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद टीम वायरलेस बनाने की दिशा में काम शुरू कर देगा I इसके अलावा बच्चों के लिए भी कितने घंटे बनाने का काम शुरू किया जाएगा, जो अभी मौजूदा समय में कृत्रिम हृदय विकसित किया गया है I उसका इस्तेमाल 16 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए ही डिजाइन किया गया है I अगले चरण में 16 साल से कम उम्र के लिए कारगर कृत्रिम हृदय शुरू किया जाएगा I

हार्ट फेल होने से मौतों पर वैज्ञानिकों ने किया कृत्रिम दिल बनाने पर विचार
कृत्रिम हृदय बनाने के बारे में वैज्ञानिकों ने तब सोचा जब हार्ट फेल होने से मौत ने अधिक होने लगी I इस पर 6 साल पहले आईआईटी कि वैज्ञानिकों ने कृत्रिम झील बनाने के बारे में सोचा I लेकिन इसकी शुरुआत डेढ़ वर्ष पूर्व हुई I 2021 में आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर के निर्देशन में बायो साइंस एंड बायो इंजीनियरिंग विभाग की हेड प्रोफेसर अमिताभ बंधोपाध्याय की देखरेख में एक कमेटी बनाई गई , जोकि इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया I कमेटी में कई वैज्ञानिक चिकित्सक एवं आईआईटी के पूर्व छात्र उद्योग भी शामिल है I वैज्ञानिकों की यह सोच दिल के मरीजों के लिए वरदान साबित होगी I

 

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