रबी मौसम की फसलों में कीट/रोग से बचाव हेतु किसान बन्धुओं के लिए एडवाइजरी जारी
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अमेठी I जिला कृषि अधिकारी अखिलेश पांडेय ने बताया कि रबी मौसम की प्रमुख फसलों में राई, सरसों, चना एवं मटर में लगने वाले सामयिक कीट/रोग के प्रकोप के कारण भारी क्षति होती हैं, ऐसी स्थिति में राई/सरसों में आरा मक्खी, बालदार सूड़ी, माहू, पत्ती सुरगंक कीट, अल्टेरनेरिया पत्ती धब्बा, सफेद गेरुई, एवं तुलासिता रोग एवं चना एवं मटर की फसल में कटुवा कीट फली बेधक, सेमीलूपर कीट, पत्ती धब्बा, तुलासिता एवं बुकनी रोग/कीट के प्रकोप होने की संभावना है। किसान भाई राई/सरसों में आरा मक्खी एवं बालदार सूड़ी के नियंत्रण हेतु मैलाथियान 50% ई.सी. 1.5 लीटर अथवा इमिडाक्लोप्रिड 70% डब्ल्यू. एस. की 700 ग्राम मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 600-700 लीटर पानी में छिड़काव करें, माहू पत्ती एवं सुरगंक कीट के नियंत्रण हेतु एजाडिरेक्टिन 0.15% ई.सी. 2.5 लीटर मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें, रसायनिक नियंत्रण हेतु डाईमेथोएट 30% ई.सी. अथवा क्लोरपाइरीफास 20% ई.सी. 10 लीटर मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 600-750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें, अल्टेरनेरिया पत्ती धब्बा, सफेद गेरुई एवं तुलासिता रोग के नियंत्रण हेतु मैनकोजेब 75% डब्ल्यू0पी0 अथवा जिनेब 75% डब्ल्यू0पी0 की 2.0 किग्रा अथवा मेटालेक्सिल 8% प्लस मैनकोजेब 64% डब्ल्यू0पी0 की 2.5 किग्रा मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 600-750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। इसी प्रकार चना एवं मटर में कटुआ कीट के नियंत्रण हेतु क्लोरपाइरीफास 20% ई.सी. 2.5 लीटर मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दय से छिड़काव करें, फली बेधक, सेमीलूपर कीट के नियंत्रण हेतु 50-60 बर्ड पर्चर लगाना चाहिए तथा बी0टी0 1.0 किग्रा अथवा एन0वी0पी0 2% की 3.0 किग्रा मात्रा को 250-300 लीटर अथवा एजाडिरेक्टिन 0.03% डब्ल्यू0एस0पी0 2.5-3.0 किग्रा मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें, पत्ती धब्बा एवं तुलासिता रोग के नियंत्रण हेतु मैनकोज़ेब 75% डब्ल्यू0पी0 की 2.0 किग्रा अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डब्ल्यू0पी0 की 3.0 किग्रा मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें, बुकनी रोग के नियंत्रण हेतु घुलनशील गंधक 80%, 2.0 किग्रा अथवा ट्राइडेमेफान 25% डब्ल्यू0पी0 250 ग्राम 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।