विवेक सृष्टि में सेवा द्वारा श्री गुरु वशिष्ठ डिजिटल संस्थान का शुभारम्भ
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अयोध्या |
वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में जनस्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण विषय है| हमारे व्यक्तिगत और समाज जीवन में समस्त संकटो का कारण स्वार्थलिप्सा है। स्वार्थ के वशीभूत होकर परमार्थ के कार्य से विरत हो जाने के कारण अनेकानेक समस्यायें विकराल रूप में हमारे समक्ष आती रहती हैं। ये बातें विवेक सृष्टि में आयोजित गीता जयन्ती महोत्सव में विवेक सृष्टि के अध्यक्ष योगाचार्य डॉ चैतन्य ने कहीं। उन्होंने कहा कि सुखी जीवन का सार स्वार्थ का परित्याग कर महान जीवन लक्ष्य निर्धारित करना और उसके निमित्त पूर्ण मनोयोग से समर्पित कर्तव्यभाव से कार्य करना है। अपने जीवन में जो कार्य निर्धारित किया है उसे पूरी तन्मयता से न करने के कारण अवसाद उत्पन्न होता है।
गीता में प्रथम अध्याय में ही अर्जुन विषाद की चर्चा है। बिना गीता ज्ञान और गीता के सानिघ्य के स्वार्थलिप्सा एवं विशाद का त्याग और कर्तव्य परायणता का बोध सम्भव नहीं है। श्रीमद्भगवद्गीता के प्रथम अध्याय अर्जुन विषाद योग से लेकर अट्ठारहवें अध्याय मोक्षसन्यास योग तक प्रत्येक अध्याय के सन्देश के आलोक में हमारे जीवन में महानतम लक्ष्य निर्धारित कर उसके प्रति समर्पित होकर कार्य करना ही श्रेयस्कर है।
विवेक सृष्टि में आयोजित गीता जयन्ती के अवसर पर सोसाइटी फॉर एजुकेशन, वेलफेयर & अवेयरनेस (SEWA- सेवा) द्वारा श्रीगुरु वशिष्ठ डिजिटल संस्थान का शुभारम्भ किया गया| संस्थान की परिकल्पना का प्रस्तुतिकरण करते हुए सेवा के सचिव एवं डिजिटल संस्थान के निदेशक ई. रवि तिवारी ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान परम्परा के मानवजाति के विकास में अप्रतिम योगदान का प्रत्यक्ष साक्षी रहा है| वर्तमान जगत के प्रतिस्पर्धात्मक जीवनशैली में आधुनिक तकनीकि एवं वैज्ञानिक विकास के लिए नैतिकता एवं आदर्श आधारित व्यक्तित्व महत्वपूर्ण एवं आवश्यक आधार स्तंभ है| श्रीमद्भगवद्गीता निष्काम कर्मयोग के आदर्श प्रेरणा ग्रन्थ के रूप में हमारी अमूल्य थाती है| यह व्यक्तित्व विकास एवं सुसंस्कृत समाज हेतु समग्र शास्त्र है| श्री गुरु वशिष्ठ डिजिटल संस्थान द्वारा ज्ञान के व्यापक प्रसार के निमित्त डिजिटल स्कूल फॉर एथिकल स्टडीज (Digital School For Ethical Studies) के प्रकल्प का शुभारम्भ किया जा रहा है| जो आधुनिक तकनीकि एवं विज्ञान के समग्र अनुप्रयोग को हृदयंगम करते हुए आधुनिक शिक्षा के विभिन्न पक्षों को समाविष्ट करके चिर पुरातन भारतीय ज्ञान परम्परा को लोक प्रसारित करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगा| जिसके अन्तर्गत प्रथम सोपान के रूप में श्रीमद्भगवद्गीता अध्ययन की कार्ययोजना प्रस्तुत है| यह संस्थान समाज के सहयोग से व्यापक जनहित के लिए निरन्तर क्रियाशील रहे, ऐसी भगवद प्रार्थना है| इस प्रकल्प के सफलता पूर्वक दायित्व निर्वहन हेतु समाज के प्रत्येक घटक के सहयोग की सादर अपेक्षा है|
इस अवसर पर वशिष्ठ पीठ तीन कलश तिवारी मंदिर के वर्तमान परंपरावाहक महंत गिरीशपति त्रिपाठी ने कहा की हमें भगवत कृपा से जो कुछ भी प्राप्त हुआ है, उसमें आत्म संतुष्टि के भाव के साथ अपने और समाज के विकास के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहना चाहिए| यह हमारे लिए नितांत आवश्यक है कि हम लोग भक्ति के साथ योग के मार्ग से अपने आप को ईश्वर के साथ जोड़ें और अपना जीवन सार्थक बनाएं|
इस वर्ष इस अवसर पर विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया था प्रतियोगिता के संयोजक डा. शशि भूषण राम त्रिपाठी ने बताया कि इसके अन्तर्गत बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तरी ऑनलाइन प्रतियोगिता, न्यूनतम एक अध्याय सस्वर कंठस्थ गीतावाचन प्रतियोगिता, संपूर्ण गीता का सस्वर-कंठस्थ वाचन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था | आज गीता जयन्ती के अवसर पर विशिष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों श्री अविनाश चन्द्र श्रीवास्तव, सुश्री मंसिका त्रिपाठी एवं सुश्री अपर्णा शुक्ला को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया|
इस अवसर पर अवध विश्वविद्यालय के गणित विभाग के आचार्य डॉ सन्तशरण मिश्र ने कहा कि गीता ज्ञान अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य हो रहा है। गीता के आधार पर अन्तर्राष्ट्रीय जगत में विकास की ललक दिखाई पड़ने लगी है। तमाम विदेशी विश्वविद्यालय औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों रूपों में श्रीमद्भगवद्गीता के आधार पर अध्ययन एवं शोध कार्य में लगे हैं। अपने जीवन में दैनन्दिन गतिविधियों में गीता को आधार बनाकर कर्तव्यरत होना हमें श्रेष्ठता प्रदान करेगा।
कार्यक्रम का प्रारम्भ श्रीमद्भागवद्गीता एवं भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि से हुआ कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन का कार्य सुमधुर जी ने किया l
उक्त संगोष्ठी में अरविन्द श्रीवास्तव, वीरेश चन्द्र वर्मा, विवेक सृष्टि के कोषाध्यक्ष रामकुमार गुप्ता, राजेश मंध्यान, ई. प्रियकीर्ति तिवारी राजेश श्रीवास्तव, सहज राम यादव, विजय सिंह ‘बंटी’, ज्ञानेन्द्र श्रीवास्तव, विवेक शुक्ल, प्रवीण सिंह, विनोद तिवारी, अभिषेक शुक्ल, बृजेन्द्र दूबे, प्रवीण दुबे, दिनेश कुलभूषण, ज्योतिभूषण, पवन पाण्डेय, विजय बहादुर सिंह, आशुतोष पाण्डेय, सीमा तिवारी, सोनी सिंह, डॉ.सुरभि पाल, बंदना द्विवेदी, गीता गुप्ता, पूनम श्रीवास्तवा आदि अनेकों गणमान्यजन एवं साधकगण उपस्थित रहे।