ऑनलाइन राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी में प्रसिद्ध कवियों ने बिखेरे काव्य रंग
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जिया साहित्य मंच पर ऑनलाइन राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी का सफल आयोजन हुआ | इस काव्य गोष्ठी में बैंगलोर के वरिष्ठ साहित्यकार नन्द सारस्वत मुख्य अतिथि के रूप में पधारे | नन्द सारस्वत बीकानेर ( राजस्थान ) से मूलता कृषक परिवार से हैं | व बैंगलोर और जर्मनी दोनों जगह रहते हैं | इनकी कविताएं देश भक्ति से ओतप्रोत और ज्यादातर सैनिकों को समर्पित होती हैं | गीत, गजल,मुक्तक और छंदमुक्त कविताएं
लिखते हैं व सम सामयिक विषयों पर भी लिखते हैं | नन्द सारस्वत राष्ट्रीय भाषा एवं साहित्य संस्थान बेंगलुरु के संस्थापक सदस्य एवं अध्यक्ष हैं |
सबसे पहले अयोध्या से मनोरमा मिश्रा ने सरस्वती वंदना से काव्य गोष्ठी का शुभारम्भ किया और सत्यता को उजागर करती कविता “लगाकर भाल चंदन और तिलक हम भूल जाते हैं
करें ना नारी की इज्जत देवी को फूल चढ़ाते हैं ”
प्रस्तुत की | मुंबई से वरिष्ठ कवि चन्द्रमोहन नीले जी ने प्रेरणादायक कविता “कल से अच्छा आज है तेरा, आज से होगा बेहतर कल ” प्रस्तुत की | भोपाल से वरिष्ठ कवियित्री सुनीता तिवारी जी द्वारा “दिल अपना और प्रीत पराई ” सुमधुर गीत प्रस्तुत किया गया | अयोध्या से आरक्षी रंजीत कुमार यादव ने नववर्ष पर पुलिस आरक्षी और उनकी पत्नी के संवाद के रूप में कविता प्रस्तुत की | जौनपुर से वरिष्ठ कवि सागर सिंह ने गजल “दर्द-ए- एहसास बताएं तो मुझे खत लिखना ” प्रस्तुत की | गुना मध्य प्रदेश से विजय गुडसले ने आईना व बचपन पर काव्य पाठ प्रस्तुत किया | दोहा कतर से एम डी एस रामालक्ष्मी ने “परिवर्तन सफर का अब ठहर सा गया हूँ चलते चलते ” कविता प्रस्तुत की | जयपुर राजस्थान से मणिमाला शर्मा जी द्वारा बचपन पर बहुत सुन्दर कविता प्रस्तुत की गई। मणिमाला ने मुख्य अतिथि का बहुत परिचय भी सबको दिया |
उज्जैन से उषा सोलंकी ने श्रृंगार रस पर “अभिलाषा मन की मन में दवाओ ना ” कविता प्रस्तुत की | सोनीपत फरीदाबाद से राजश्री गौड़ ने गजल ” दिल के सोए हुए जज्बात जगाकर देखो” प्रस्तुत की |
कोटा राजस्थान से विष्णुशंकर मीणा ने भारत वर्ष पर ओजपूर्ण कविता प्रस्तुत की | बैंगलोर से मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार नन्द सारस्वत “स्वदेशी ” ने महिलाओं के सम्मान में भाव विभोर कर देने वाली सुन्दर रचना प्रस्तुत की |
बैंगलोर से ही रीता सिंह ने “मां की किस्मत ” आंखो को नम कर देने वाली कविता का सस्वर पाठ किया और मंच संचालन किया | अयोध्या से मनोरमा मिश्रा ने काव्य गोष्ठी की बहुत सुन्दर समीक्षा की |