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खातों में जा रहा पैसा पर नहीं खुलता सामुदायिक शौचालयों का ताला

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अमेठी I
स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार गांवों में पानी की तरह पैसा बहा रही है। हर गांव में प्रोत्साहन राशि के तहत व्यक्तिगत शौचालयों के साथ सामुदायिक शौचालय बना दिए गए हैं पर इन सामुदायिक शौचालयों के निर्माण का उद्देश्य पूरा होता नजर नहीं आ रहा है।इन शौचालयों में इनका उपयोग 50% भी आज तक नहीं हो पा रहा। सिंहपुर विकास क्षेत्र के लगभग 20 गांवों को छोड़ दें तो 38 सामुदायिक शौचालयों में ताला लटका रहता है। बाकी कभी कभार यदि किसी जांच की सूचना होती है तो ताले खोले जाते हैं। जबकि इनके संचालन को तैनात की गई स्वयं सहायता समूहों की महिला केयर टेकरों के खातों में हर माह नौ हजार रुपये जा रहा। सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के प्रति जिम्मेदार इतने लापरवाह कि आज तक किसी सामुदायिक शौचालय का निरीक्षण भी नहीं किया जाता।
सिंहपुर क्षेत्र की 58 ग्राम पंचायतों में से सभी 58 गांवों में सामुदायिक शौचालय बन गए हैं लेकिन कुछ इनमे आज भी अधूरे हैं। इनमें किसी की लागत नौ तो किसी में छह लाख खर्च हुआ है। क्षेत्र में आधे से अधिक सामुदायिक शौचालय पूर्व प्रधानो के कार्यकाल में बने थे और शेष 2021 में चुने गए नए प्रधानों के कार्यकाल में इनके निर्माण में इतनी तेजी आई कि यह चंद महीनों में ही तैयार हो गए, पर इनके संचालन में किसी ने गंभीरता नहीं बरती। जिला पंचायत राज विभाग से इनके संचालन की जिम्मेदारी महिला स्वयं सहायता समूहों को मिली। इसकी देखरेख के लिए छह हजार और साफ-सफाई के लिए तीन हजार रुपये इनका मानदेय फिक्स हुआ। पर स्थिति गंभीर है कि 346 में महीनों से ताला लटका है। जबकि कुछ ऐसे भी हैं जहां पहली बार प्रयोग हुआ तो उसकी सफाई नहीं हो सकी।

अधिकारी नहीं करते इनका निरीक्षण

सामुदायिक शौचालयों के संचालन की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान, सेक्रेटरी की है लेकिन इनकी वास्तविक स्थिति की जानकारी पंचायत राज विभाग को लेनी होती है। ब्लाक स्तर से सभी की रिपोर्टिंग ओके दिखाई जाती है पर हकीकत देखने कोई नहीं जाता है।महेशपुर निवासी रमेसर पासी बताते हैं कि शौचालय अपूर्ण होने की शिकायत कई बार की गई लेकिन कोई जांच करने नहीं आया।

 


विभाग ने किए छह सौ निरीक्षण, पर नहीं देखे शौचालय

जिला पंचायत राज विभाग की ओर से अब तक छह सौ निरीक्षण हो चुके हैं लेकिन किसी निरीक्षण में सामुदायिक शौचालयों को नहीं देखा गया। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभागीय अधिकारी कितने गंभीर हैं। बानगी के तौर पर जिले के सिंहपुर पर नजर डालते हैं —

केस 1-सिंहपुर क्षेत्र का खरांवा गांव का सामुदायिक शौचालय। निर्माण में नौ लाख रुपये खर्च हुए। आज भी अधूरा है इसके बावजूद एक साल का मानदेय केयर टेकर के खाते में जा चुका है लेकिन इस पर कई माह से ताला लटका है। गांव के लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।
केस -2 सिंहपुर का महिया सिंदुरिया गांव का सामुदायिक शौचालय महेशपुर गांव में बना है आज भी पूरी तरह कंपलीट नहीं है।बनने के बाद से लगातार ताला लटकता रहता है।इसके बाद भी केयर टेकर का पैसा खाते में अंतरित हो रहा है।यही हाल लौली गांव स्थित सामुदायिक शौचालय में भी ताला लटकता रहता है बावजूद इसके केयर टेकर का 9000 रुपए प्रतिमाह अंतरित हो रहा है।
ज्यादातर लोगों के पास व्यक्तिगत शौचालय हैं पर गरीबों के लिए सामुदायिक शौचालय का सहारा है। लेकिन केयर टेकर के पास इसकी चाबी होने के कारण वह कभी नहीं खुलते।

बोले अधिकारी….
सहायक विकास अधिकारी पंचायत सिंहपुर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायतों से सामुदायिक शौचालयों के संचालन की रिपोर्ट हर माह आती है। फिर भी यदि कहीं से शिकायत मिलती है तो विभाग की ओर से इनके निरीक्षण भी कराया जाता है। जहां ताला लटका मिला, वहां संबंधित पर कार्रवाई किए जाने के निर्देश हैं।

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