अधिक वर्षा से खरीफ में धान की फसल पर संकट,रबी की देरी से होगी बुआई
1 min readअधिक वर्षा से खरीफ फसलों पर संकट नजर आ रहा है,वहीं रबी बोवनी के लेट होने के आसार आसार बन गए हैं।मानसून की विदाई की वेला में हुई जबरदस्त बरसात ने एक बार धान की फसल को जबरदस्त झटका दिया है। अत्यधिक वर्षा से खरीफ फसलों में धान की फसल में आ रही बालियों तथा हवा के साथ लगातार हुई बरसात का बुरा असर पड़ा है प्रतिकूल मौसम के चलते बालियों में बनने वाले दानों पर बुरा असर पड़ना तय है बड़ी मात्रा में फसल पकी भी खड़ी है लेकिन खेतों में जलभराव के चलते कटाई भी नहीं हो पा रही है।अक्तूबर माह की बरसात से रबी सीजन की बोवनी लेट होने की संभावना पैदा है।
लगभग मानसून की विदाई के बाद भी यदि वर्षा की खबर आती है, तब किसानो का परेशान होना स्वाभाविक है। ऐसा ही कुछ इस वर्ष हो रहा है मानसून लगातार प्रदेश में सक्रिय है जिसके कारण खरीफ फसलों में बाली निकलने के समय हुई बरसात में जहां उपज पर बुरा असर पड़ने के असर हैं वहीं पकी खड़ी धान की कटाई में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है इतना ही नहीं लगातार वर्षा के कारण अब खरीफ फसलों पर अत्यधिक संकट के बादल मंडराने लगे हैं। वर्ष 2022 में मानसून की वर्षा ने खरीफ में बोवनी करने वाले किसानों खुश होने का कम एवं निराश होने का अधिक अवसर दिया है।
सितंबर माह की शुरुवात में वर्षा कम और बाद में अधिक वर्षा होने के बाद किसान अच्छे धान उत्पादन का इंतजार करने लगे थे,लेकिन लगभग मानसून की विदाई के बाद अक्तूबर माह में हुई बेमौसम बरसात ने किसानों का खेल बिगाड़ दिया है।बरसात से जो कुछ नफा-नुकसान हुआ वह हो चुका है। अब किसान भाई तैयार फसलों को काटकर घर ले जाने की तैयारी करें।
बारिश के कारण रबी फसलों की बुआई में देरी होगी
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस माह में होने वाली भारी वर्षा की वजह से जमीन में जल भराव और जमीन की नमी के चलते जहां धान की फसल की कटाई में विलंब व दिक्कत होगी वहीं रवी में दलहनी,तिलहनी तथा गेहूं फसलों एवं शब्जियो वाली प्रमुख फसलों की जल्दी बुवाई में बाधा भी आ सकती है। परिणाम स्वरूप रबी में बोवनी में देर हो सकती है।जिसका भी पैदावार पर बुरा असर पड़ेगा।किसान रमाकांत मिश्र बताते हैं कि यदि अक्तूबर माह में सरसों,चना,मटर, आलू,मसूर जैसी फसलों की बुवाई हो जाती है तो अच्छी पैदावार मिलने की आशा रहती है साथ ही इन फसलों को विकाशित होने का पूरा समय मिलता है और फसलों में रोग की भी कम संभावना रहती है।
भारी वर्षा से विभिन्न मौसमी फसलों को हानि होगी
मौसम वैज्ञानिकों का मत है कि उत्तर भारत में मानसून सीजन सामान्य से अधिक लंबी अवधि तक बना रहा है। इसका बड़ा खामियाजा सबसे ज्यादा रबी की फसल में विभिन्न प्रकार की साग भाजी की बोवनी करने वाले किसानों पर पड़ेगा। आमतौर पर इस तरह से होने वाली भारी वर्षा से विभिन्न मौसमी फसलों को तत्कालीन हानि तो होती ही है साथ ही उसके बाद होने वाली फसल भी प्रभावित होती है।किसान रामहेत मौर्य बताते हैं कि मेथी, सोया,बथुवा,मटर,टमाटर,गोभी, पत्ता गोभी,मूली,गाजर,चुकंदर इत्यादि सब्जियों की बुवाई वैसे भी लेट हो चुकी है लेकिन अभी चल रही बरसात और खेतों में जलभराव के चलते अगले बीस पच्चीस दिनों में बुवाई कर पाना संभव नहीं है।पच्चीस दिन बाद बुवाई की जाएगी तो उससे बहुत फायदे की उम्मीद किसानों को नहीं रहेगी।इस बार क्षेत्र मानसून के शुरुवाती महीनों में कमजोर वर्षा हुई है लेकिन चार माह तक रहने वाले मानसून सीजन 2022 के दौरान मानसून के समय में वृद्धि होती जा रही है। यहां तक तो ठीक है किंतु वैज्ञानिक की सीजन के मानसून के स्वभाव को पहचानने में चूक क्यों हुई है, यह समझ से परे हैं।