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Corruption : समाज कल्याण अधिकारी अमेठी पर भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज

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REPORT BY ADV. ANAND PRATAP SINGH

NEWS DESK LUCKNOW।

प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नीति के तहत अमेठी के जिला समाज कल्याण अधिकारी (डीएसडब्लू) मनोज कुमार और बाबू गोकुल प्रसाद जायसवाल को निलंबित कर दिया गया है। समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण के निर्देश पर अयोध्या मंडल के उप निदेशक की जांच रिपोर्ट में दोनों को दोषी पाया गया।

अमेठी जिले में एक बड़ा भ्रष्टाचार मामला सामने आया है, जिसमें ज़िला समाज कल्याण अधिकारी मनोज कुमार पर अवैध लेन-देन और सरकारी पद का दुरुपयोग करने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस संबंध में गौरीगंज थाने में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

जानकारी के अनुसार समाज कल्याण विभाग के उपनिदेशक राकेश रमन की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि अधिकारी मनोज कुमार ने अपने कार्यालय के प्रधान सहायक गोकुल प्रसाद से जबरन मोबाइल छीनकर यूपीआई पासवर्ड हासिल किया और अपने पारिवारिक खाते में 40,000 रुपये का ट्रांजैक्शन करवाया। इसके अलावा उन्होंने रिश्वत मांगने और अन्य अनियमितताओं को लेकर कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं।

समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण को जब इस पूरे मामले की जानकारी दी गई, तो उन्होंने तत्काल जांच के आदेश दिए। जांच के दौरान प्रत्यक्षदर्शियों के बयान और सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा के बाद पाया गया कि आरोपी अधिकारी द्वारा किए गए लेन-देन संदिग्ध थे और उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।

दर्ज हुआ भ्रष्टाचार का मुकदमा

गौरीगंज थाना पुलिस ने इस मामले में भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 309(4), सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम 2008 की धारा 66D और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस अधिकारी मयंक द्विवेदी को इस मामले की जांच सौंपी गई है।

सचिवालय सूत्रों के अनुसार  तत्कालीन प्रमुख सचिव समाज कल्याण यदि अपने समय पर भ्रष्ट आचरणों की सूचना प्राप्त होने पर इन  अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करते, तो आज विभाग में मनोज जैसे भ्रष्ट अफसरों की मौजूदगी ही न होती।  मनोज कुमार पर पहले भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग चुके हैं।

लखनऊ में समाज कल्याण (विकास) पद पर तैनाती के दौरान उन्होंने प्रभाव और पैसे के दम पर अपने खिलाफ चल रही जांचों को दबवाने का प्रयास किया।

ज़ेवर विधायक की शिकायत विजिलेंस और ईओडब्ल्यू जांच है लंबित

जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह के पत्राचार पर विजिलेंस और ईओडब्ल्यू जांच लंबित है, जिसमें शिक्षकों के वेतन से करोड़ों रुपये के गबन की जांच जारी है। पूर्व में भी जेवर विधायक के समाज कल्याण विभाग में हो रहे  भ्रष्टाचार के प्रति ध्यान आकर्षित करने पर मंत्री समाज कल्याण द्वारा विभागीय विजिलेंस टीम गठित की गयी थी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाते हुए मंत्री असीम अरुण ने इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई की।

मंत्री की कार्यवाही सराहनीय-विजय विक्रम सिंह

पूर्वांचल विकास बोर्ड के सदस्य विजय विक्रम सिंह का कहना है कि “समाज कल्याण मंत्री ने वास्तविक न्याय किया है, क्योंकि डीएसडब्लू और बाबू के बीच का विवाद रिश्वत की लूट को लेकर था।”अमेठी जिले में इस कार्रवाई से एक स्पष्ट संदेश गया है कि योगी सरकार में भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

जनसामन्य में यह चर्चा भी आम है कि पूर्व की भांति  मंत्री असीम अरुण जैसे प्रशासनिक सेवा के दौरान अपनी चुस्ती और फुर्ती से अपराधियों की धर-पकड़ करते थे वैसे ही समाज कल्याण में भ्रष्ट अधिकारीयों को भी उनके राडार में आने में देर नहीं लगेगी।

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