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MEMOIR : बोले अटल… देखो ! रायबरेली का शेर आ गया …

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PRESENTED BY GAURAV AWASTHI

भाजपा और संघ के निष्ठावान कार्यकर्ता रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री गिरीश नारायण पांडेय भाजपा के टिकट पर 1991 में पहली बार विधायक बने थे। चुनाव में अटल बिहारी बाजपेई ने उनके पक्ष में गल्ला मंडी में चुनावी सभा को संबोधित की। राज्य में कल्याण सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी। मंत्रिमंडल के लिए तब के सर संघचालक रज्जू भैया और लखनऊ के सांसद अटल बिहारी बाजपेई को ही मंत्रिमंडल बनाने की जिम्मेदारी दी गई। वर्ष 1992 मंत्रिमंडल का फिर विस्तार हुआ। पांडेय जी को भी लखनऊ बुलाया गया।

15 अगस्त 1992 को अटल जी लखनऊ में वीवीआईपी गेस्ट हाउस में थे। गेस्ट हाउस में लालजी टंडन और कलराज मिश्र पहले से बैठे हुए थे। दोनों नेताओं से अटल जी कह रहे थे-‘ हमारे ऐसे कार्यक्रम लगाओ जहां नए चेहरे हमे दिये बार-बार हमें वही पुराने चेहरे दिखते हैं। कलराज जी ने कहा- देखिए, नए चेहरे गिरीश पांडेय जी आ गए। अटल जी गिरीश जी से बहुत आत्मीयता से मिले और बोले- आप तो आज गवर्नर साहब के यहां इनवाइट होंगे दावत पर। पांडेय जी ने ‘हां’ में सिर हिलाया। इस पर अटल जी ने कहा- शाम 4 बजे आइए, वहीं मिलते हैं।

शाम 4 बजे गवर्नर हाउस पहुंचे तो अटल जी वहां बैठे हुए थे। पहुंचते ही कंधे पर हाथ रखकर बोले-‘ देखो! रायबरेली का शेर आ गया। इन्होने ही इंदिरा जी के चुनाव को अवैध घोषित करा दिया था।’ फिर अटल जी गिरीश जी को एकांत में ले गए और कहा-‘ हम आपको कुछ बड़ी जिम्मेदारी देना चाहते हैं।’ इतना कहने के बाद उन्होंने कहा- कल शाम 4 बजे आप गवर्नर हाउस आ जाइए, मंत्रिपद की शपथ लेने। अटल जी ने गिरीश जी से यह भी पूछा-‘ यहां रुकोगे या घर जाओगे।’ गिरीश जी द्वारा घर जाने की बात कहे जाने पर उन्होंने कहा-‘ अभी यह किसी से बताना नहीं।’

गिरीश जी को कैबिनेट मंत्री बनाए जाने का किस्सा भी रोचक है। मंत्रिमंडल की तैयार सूची में गिरीश जी का नाम राज्यमंत्री के तौर पर शामिल था। सूची देखने के बाद अटलजी ने गिरीश जी के नाम के आगे लिखे राज्यमंत्री को पेन से काटकर कैबिनेट मंत्री लिख दिया। दूसरे दिन गिरीश जी को गवर्नर हाउस में कैबिनेट मंत्री की शपथ ही दिलाई गई।

जिले में गिरीश जी की गिनती संत राजनेताओं में होती है। निरभिमानी और नीति-सिद्धांत के पक्के गिरीश जी के चित्र और चरित्र को सत्ता रत्ती भर प्रभावित नहीं कर पाई। उनका पूरा राजनीतिक जीवन बेदाग रहा। विरोधी भी कलंक लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। सरल इतने कि हर एक के साथ चल दिए। उनका स्वभाव ही था कि हर दल, जाति, धर्म के लोग गिरीश जी का दिल से सम्मान करते थे, दिखावे के लिए नहीं।

ऐसे पूर्व मंत्री गिरीश नारायण पाण्डेय जी और उनकी धर्म पत्नी वीणा जी को कोटि कोटि नमन.. 🙏🙏

( कई वर्ष पहले गिरीश जी के स्वयं सुनाए संस्मरण पर आधारित)

 

 

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