रामलीला के पात्रों में रच बस गए हैं किरदार
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90 के दशक से शुरू हुए अमेठी जनपद के मुसाफिर खाना तहसील के ग्राम सभा के हनुमानगंज चौराहे की रामलीला एक अपनी अलग खासियत रखती है I कहने को तो यह मात्र 27 साल पुरानी रामलीला मंचन है I लेकिन इस रामलीला के पात्रों में किरदारों की भूमिका उनके जीवन में रस बस गई है मजे की बात है कि रामलीला मंचन में एक ही परिवार के दो से तीन कलाकार इसमें भाग लेने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है I समय आते ही अपने क्षेत्र के कुछ लोगों की कला की चर्चा होने लगती है। ये वे लोग हैं जो लंबे समय से रामलीला के किरदार की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इसी के चलते खास बने हुए हैं। रामलीला के पात्रों में रच बस गए हैं। किरदार ही उनकी पहचान बन चुकी है। कई कलाकारों को ये किरदार विरासत में मिले हैं। अपने पिता व अपने भाई की जिम्मेदारी निभा किरदार को जीवंत कर तालियां बटोर रहे हैं। इनके रामलीला से जुड़ने के अपने अनुभव और किस्से हैं।
निजामुद्दीनपुर के हनुमानगंज चौराहे पर की रामलीला का इतिहास लगभग 27 साल पुराना है। इस बार रामलीला का 28 वीं बार मंचन रामलीला मैदान में किया जाएगा।इस रामलीला का मंचन आज के दिन से शुरू होगा जो विसर्जन के एक दिन पूर्व ही समाप्त होगा।
रामलीला कमेटी के संचालन कर्ता रामसजीवन यादव बताते हैं कि गांव के चौराहे पर में 1996 में पहली बार रामलीला का मंचन किया गया था। जो सत्यदेव यादव,मुन्नालाल निषाद,तेजप्रताप यादव,रामसहाय निषाद,पारसनाथ शर्मा , अमर सिंह यादव,दीपक यादव जी के मार्गदर्शन में शुरुआत हुई थी,जो आज तक अपनी परम्परा से पदों का निर्वाहन कर रहे है। गांव के ही स्थानीय कलाकर अपने अपने अभिनय का परिचय दे रहे थे। तब से शुरू हुई रामलीला की परंपरा आज तक जारी है। इसी गांव के गगन राम के रोल में, मनीष साहू लक्ष्मण, रामशंकर निषाद परशुराम, रामकुमार यादव दशरथ, राजेंद्र गुप्ता व्यास, जितेंद्र यादव विश्वामित्र, तेजप्रताप हनुमान व सुरेश यादव अंगद का व मुन्नालाल निषाद सुमित्र का रोल अदा करते है और इन लोगों द्वारा शानदार मंचन किया जाता है।
इस रामलीला में बड़ी बात यह है कि एक एक परिवार से लगभग दो से तीन लोग उत्सुकता से अपनी अपनी भूमिका अपने अपने रोल पर अदा कर रहे है।कहीं पिता तो कही बेटा भतीजा रोल करते देखे जा रहे हैं।