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SUBHASH CHANDRA BOSE JAYNTI : बीस साल बाद गुलजार हुई नेता जी की प्रतिमा,गुंगवाछ में मनाई गई जयंती

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REPORT BY LOK REPORTER

AMETHI NEWS।

नेता जी सुभाष चन्द बोस की जयंती पर गुंगवाछ में लगी उनकी प्रतिमा पर गुरुवार को 20साल बाद कार्यक्रम आ,योजित किया गया। समाज शास्त्री डॉ धनंजय सिंह के संयोजन में प्रतिमा पर माल्यार्पण और विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

अमेठी -दुर्गापुर मार्ग पर नेता जी सुभाष चन्द बोस की एक प्रतिमा का निर्माण लगभग 21वर्ष पहले हरीराम ने किया था।यह प्रतिमा सड़क के किनारे लगी हुई है। यहां गुरुवार को पहली बार सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला अध्यक्ष और आर आर पी जी कालेज के समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ धनंजय सिंह की नजर पड़ने पर उन्होंने बुधवार को नेता जी जयंती इसी प्रतिमा के पास मनाने का निर्णय लिया।

गुरूवार को प्रतिमा के आसपास साफ सफाई के बाद माल्यार्पण और विचार गोष्ठी का कार्यक्रम आयोजित किया गया।डा धनंजय सिंह ने कहा कि लोगों से सहयोग लेकर इस प्रतिमा का सौन्दर्यीकरण कराया जाएगा। अब हर साल नेता जी की जयंती यहीं मनाई जाएगी। नेता सुभाष चंद बोस ने आई सी एस की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी प्रशासनिक सेवा में जाने के बजाय अपना पूरा जीवन राष्ट्र हित और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष को समर्पित कर दिया और आजाद हिन्द फौज के माध्यम से अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने में महान योगदान किया।उनका जन्म दिन पूरी दुनिया में पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।

श्री गुरु गोबिंद सिंह जी लंगर आयोजन समिति के संस्थापक बाबा मनोहर सिंह ने कहा कि नेता जी का पूरा जीवन भारत को अंग्रेजी हुकूमत की गुलामी से मुक्ति को समर्पित रहा। नेता जी सुभाष चन्द बोस पंजाब में दो सप्ताह शहीद भगत सिंह के घर पर रहे। उनकी माता जी के सानिध्य में हमें भी उनके बारे में जानने समझने का मौका मिला। नेता जी का सूट-बूट वहां आज भी संरक्षित है। नेता जी राष्ट्र के महान निर्माताओं में से एक हैं। उन्होंने भारत के बाहर रहकर आजादी के आंदोलन का सफल नेतृत्व किया।

जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिला उपाध्यक्ष संजीव कुमार ने नेता जी के जीवन दर्शन के बारे में जानकारी दी।1939में नेता जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे, उन्हें अंग्रेजी हुकूमत ने नजर बंद किया था।वेश बदलने में माहिर नेता जी ने दुनिया के अन्य राष्ट्रों से सहयोग लेकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ निर्णायक संघर्ष किया।

आजाद हिन्द फौज ने भारत के बाहर भी ब्रिटिश हुकूमत को नाकों चने चबवा दिए और अंग्रेज भारत छोड़ने को मजबूर हो गए ‌।पवन कुमार वर्मा, धनंजय सिंह धर्मेंद्र सिंह, श्रीमती, गीता, दीपमाला, मालती, पूनम मिश्रा,राम प्रसाद आदि मौजूद रहे।

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